डीजीपी मुख्यालय ने सभी कमिश्नरेट व जिलों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों से होने वाली तकरीरों व नमाजियों पर दृष्टि रखी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि नमाज के लिए आने वाले लोगों की संख्या रोजाना की तरह हो। कहीं भी अतिरिक्त जमावड़ा न होने पाए। क्षेत्र में बाहरी लोगों के आवागमन पर भी नजर रखी जाए।
जामिया और एएमयू से भड़की थी आग
बता दें कि वर्ष 2019 में सीएए विधेयक पारित होने के बाद 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया इस्लामिया में उपद्रव हुआ था, जिसकी आग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तक भी पहुंची थी। इसके बाद तीन दिन तक प्रदेश के 41 जिलों में विरोध प्रदर्शन होते रहा। कई जिलों में आगजनी, पथराव व हिंसा भी हुई थी। जबकि 20 दिसंबर को दोपहर में जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से निकली भीड़ ने जगह-जगह आगजनी व पथराव किया। इसे लेकर प्रदेश भर में पुलिस ने 497 मुकदमे दर्ज कर 5,836 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें पीएफआई के 113 सदस्य शामिल थे।
21 उपद्रवियों की हुई थी मृत्यु
नौ जिलों में हिंसक घटनाओं के दौरान 21 उपद्रवियों की मौत हुई थी और 61 पुलिसकर्मी फायर इंजरी व 400 पथराव में घायल हुए थे। सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं फैलने पर 29 जिलों में इंटरनेट सेवा को अस्थायी रूप से बंद किया गया था। प्रदर्शन में शामिल अराजक तत्वों ने करीब 3.57 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया था। इसकी क्षतिपूर्ति के लिए 680 लोगों को रिकवरी नोटिस जारी हुआ। अब तक 6,54,172 रुपये की रिकवरी की जा चुकी है।
80 फीसदी मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल
वर्ष 2019 में सीएए के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर सितंबर 2022 तक प्रदेश में 509 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने 406 मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल किया, जबकि 72 में फाइनल रिपोर्ट लगाई थी। वहीं 31 मुकदमों की विवेचना जारी है। कमिश्नरेट में सबसे ज्यादा हिंसक प्रदर्शन लखनऊ में हुआ था। यहां 63 मुकदमे दर्ज हुए थे। वहीं कानपुर में 22 और वाराणसी में 10 मुकदमे दर्ज हुए थे। अगर जोन की बात करें तो आगरा जोन में सर्वाधिक 105, जबकि मेरठ जोन में 104 मुकदमे दर्ज हुए थे।