भारतीय रिजर्व बैंक ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सेवा के लिए कारोबारियों से लिये जाने वाले MDR चार्ज में बदलाव किया है. आरबीआई ने जहां इसे कैशलेस लेनदेन के लिए फायदेमंद बताया है. वहीं, कारोबारियों का कहना है कि इससे डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करना महंगा हो सकता है.
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कारोबारियों के लिए एमडीआर चार्जेज घटने से जहां ये उम्मीद जताई जा रही है कि इससे डेबिट कार्ड से प्वाइंट ऑफ सेल्स (POS) मशीन पर लेनदेन सस्ता होगा. आरबीआई ने उम्मीद जताई कि इससे छोटे कारोबारी भी कैशलेस लेनदेन की तरफ बढ़ेंगे, लेकिन कारोबारियों को ऐसा नहीं लगता.
बिग बजार और ईजोन जैसे रिटेल आउटलेट्स को चलाने वाले फ्यूचर ग्रुप के एमडी राकेश बियानी ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में आशंका जताई है कि आरबीआई ने एमडीआर चार्जेज में जो बदलाव किए हैं, उनसे डेबिट कार्ड से लेनदेन सस्ता होने की बजाय महंगा हो सकता है.
उन्होंने कहा कि एमडीआर चार्जेस में जो बदलाव किए गए हैं. उसकी वजह से डेबिट कार्ड से भुगतान करना 0.5 से 0.6 फीसदी महंगा हो सकता है.
आरबीआई ने जो बदलाव किया है, उसके मुताबिक हर साल 20 लाख रुपये तक कमाने वाले दुकानदारों को 0.4 फीसदी या अधिकतम 200 रुपये एमडीआर चार्ज के तौर पर चुकाना होगा. इसमें जो भी कम होगा, वही वसूला जाएगा. कारोबारियों को इससे दिक्कत नहीं है, बल्कि दूसरे बदलाव से है.
आरबीआई ने 20 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले दुकानदारों के लिए एमडीआर चार्ज 0.9 फीसदी अथवा अधिकतम 1000 रुपये कर दिया है. कंफेड्रेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महाप्रबंधक प्रवीण खंडेलवाला ने कहा कि लगभग हर दुकानदार की सालाना कमाई 20 लाख रुपये से ज्यादा की हो जाती है. इसकी वजह से उन्हें 0.9 फीसदी एमडीआर चार्ज देना होगा. इससे उनके लिए कारोबार करने का खर्च बढ़ जाएगा.
दुकानदार का खर्च बढ़ेगा, तो वह इसका भार अपने ग्राहकों पर डालेगा और इस तरह लोगों को डेबिट कार्ड से भुगतान करना सस्ता होने की बजाय महंगा हो जाएगा.
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई), जो कि 1000 से भी ज्यादा रिटेल स्टोर्स का प्रतिनिधित्व करता है. वह आरबीआई के इस फैसले को लेकर कारोबारियों की बात केंद्रीय बैंक के सामने रखेगा.