ब्लड टेस्ट से अब इस बात का पता लगाया जा सकता है कि कोरोना संक्रमित मरीज के अंदर संक्रमण कितना गंभीर है। जी हां, एक नए अध्ययन के अनुसार, अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच के लिए डॉक्टर उनके ब्लड टेस्ट कर इस बात का पता लगा सकते हैं कि उनके अंदर कोरोना का संक्रमण कितना गंभीर है। ऐसा कर डॉक्टर इस गंभीर बीमारी के सबसे ज्यादा जोखिम की पहचान करने और सबसे अधिक वेंटिलेटर की जरूरत के हिसाब से तैयारी कर सकते हैं।
कोविड-19 के गंभीर मामलों में सामने आ रही घातक साइटोकिन स्टॉर्म को रोकने के लिए यह खोज नए इलाज का कारण बन सकती है। ये यह समझाने में भी मदद कर सकता है कि कोरोना वायरस के रोगियों में मधुमेह के बुरे परिणाम क्यों हैं। वर्जिनिया विश्वविद्यालय (यूवीए) के शोधकर्ताओं ने पाया कि निदान पर रक्त में एक विशेष साइटोकाइन का स्तर बाद के परिणामों की भविष्यवाणी करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
साइटोकिन्स- प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा निर्मित प्रोटीन, प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा गंभीर अतिवृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। इसे साइटोकिन स्टॉर्म के रूप में जाना जाता है। यह कोविड-19 और अन्य गंभीर बीमारियों से जुड़ा हुआ है। वर्जिनिया विश्वविद्यालय (UVA) के अध्ययनकर्ता बिल पेट्री ने कहा, कोरोना के मरीजों में सांस की गंभीर कमी का पता लगाने के लिए हमने जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की खोज की, वह अन्य फेफड़े के रोगों में नुकसान का कारण बनती है।
पेट्री ने आगे कहा कि इससे नए कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्तियों में सांस की कमी को रोकने के लिए एक नया तरीका हो सकता है। इस साइटोकिन को रोककर। हम क्लीनिकल परीक्षण पर विचार करने से पहले कोरोना वायरस के एक मॉडल में इसका परीक्षण करने की योजना बना रहे हैं। निष्कर्षों के लिए अनुसंधान दल ने वर्जिनिया विश्वविद्यालय (UVA) में इलाज किए गए 57 कोरोना मरीजों की पहचान की, जिन्हें अंततः वेंटिलेटर की आवश्यकता थी।
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features