चीन अक्सर अपनी विस्तारवादी नीति के चलते सुर्खियों में रहता है। अपने पड़ोसी देशों के साथ चीन के संबंध जगजाहिर हैं। इसी बीच, ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने चीन पर आरोप लगाते हुए कहा कि 26 जनवरी की सुबह से अगले सुबह तक चीन ने एसयू-30 लड़ाकू विमानों और छह नौसेना जहाजों समेत 33 विमान द्वीप राष्ट्र ताइवान के चारों तरफ तैनात किए थे। उनका दावा है कि 33 विमानों में से 13 युद्धक विमानों ने ताइवान जलडमरूमध्य को लांघा है। बता दें चीन और ताइवान के बीच यह जल संधि एक अनौपचारिक सीमा है।
अमेरिका के रिश्तों में रोड़ा बन रहा ताइवान- वांग यी
एक रिपोर्ट के मुताबिक ये सब तब हुआ जब चीन विदेश मंत्री वांग यी ने शनिवरा को इस पर जोर देते हुए कहा था कि ताइवान की स्वतंत्रता चीन और अमेरिका संबंधों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। पिछले वर्ष सैन फ्रांसिस्कों में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात हुई थी। 28 जनवरी को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने बैंकॉक में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(एनएसए) जेक सुलिवन से मुलाकात की।
ताइवान स्वतंत्रता आंदोलन चीन के लिए चुनौती
चीन के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, वांग ने सुलिवन के साथ बैठक में इस बात पर जोर दिया कि ताइवान चीन का आंतरिक मामला है। ताइवान के क्षेत्रीय  चुनाव इस बात को नहीं बदल सकते की ताइवान चीन का हिस्सा नहीं है। सुलिवन ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका और चीन में प्रतिस्पर्धा हैं, लेकिन दोनों देशों को इसे संघर्ष या टकराव में बदलने से रोकने की जरूरत है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा ताइवान स्वतंत्रता आंदोलन है। वहीं चीन मानता है कि चीन अमेरिका संबंधों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ताइवान स्वतंत्रता आंदोलन भी है।
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