सनातन धर्म में तुलसी का पौधा बेहद अहम होता है। शास्त्रों में भी इसकी अहमियत के बारे में बताया गया है। इतनी ही नहीं, इसका उपयोग औषधीय के तौर पर भी किया जाता है। तुलसी पत्ते का उपयोग प्रत्येक पूजा में किया जाता है। मान्यता है कि इसके बगैर कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। तुलसी प्रभु श्री विष्णु की बहुत प्रिय है। इसके अतिरिक्त हनुमानजी की पूजा अनुष्ठान में भी तुलसी का इस्तेमाल होता है। सनातन धर्म में तुलसी और गंगाजल को बासी नहीं माना गया है। माना जाता हैं कि जहां तुलसी की विधि-विधान से उपासना होती है वहां हमेशा सुख0समृद्धि बनी रहती है। मगर क्या आप जानते हैं तुलसी के पत्ते को तोड़ने से पूर्व उसके कुछ नियम होते हैं। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में।।।
1- वास्तु शास्त्र के मुताबिक, तुलसी के पौधे को उत्तर एवं पूर्व दिशा में लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके पौधे को रसोई के समीप नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से नेगेटिव एनर्जी बढ़ती है।
2- प्रभु श्री विष्णु को तुलसी बेहद प्रिय हैं। मगर इसका उपयोग महादेव और उनके पुत्र गणेश को अर्पित नहीं करना चाहिए। परंपरा है कि इसके पत्तों को बिना स्नान के नहीं छूना या तोड़ना चाहिए।
3- यदि किसी वजह से तुलसी सूख जाए तो फेंकने की जगह पवित्र नदी प्रवाहित करें या मिट्टी में दबा देना चाहिए।
4- रविवार के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना ठीक नहीं होता है। ये दिन प्रभु श्री विष्णु का प्रिय दिन माना जाता है। इसलिए तुलसी का पत्ता तोड़ने से घर में अशुभता आती है।
5- तुलसी के पत्ते को एकादशी, संक्रान्ति, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण तथा शाम के वक़्त में तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। कहा जाता हैं कि तुलसी के पत्तों को कभी भी नाखूनों से नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करने से दोष लगता है। आप नाखूनों की बजाय उंगलियों का उपयोग कर सकते हैं।
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