2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा गुरुवार को एनडीए के भाईचारा भोज में शामिल नहीं हुए उसके बाद उन्होंने उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की भी इफ्तार पार्टी में जाने से इंकार कर दिया। हालांकि, बाद में उन्होंने दावा किया कि एनडीए में कोई फूट नहीं है।
इस बीच इस खींचतान का फायदा महागठबंधन उठाने की कोशिश में है। राज्य में राजद नेता तेजस्वी यादव ने उपेंद्र कुशवाह को महागठबंधन में शामिल होने का ऑफर तक दे दिया है। तेजस्वी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाह के लिए एनडीए में अब कोई जगह नहीं है।
वहीं दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि महागठबंधन में उपेंद्र कुशवाहा का स्वागत है, लेकिन उन्होंने ये शर्त रखी कि अपनी सीएम पद की इच्छा छोड़कर आएं।
जीतनराम मांझी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा को उस गठबंधन को छोड़कर हमारा गठबंधन ज्वाईन कर लेना चाहिए। लेकिन यहां सीएम पद की वैकेंसी नहीं है क्योंकि अगले विधानसभा में तेजस्वी सीएम पद के उम्मीदवार हैं।
मांझी ने कहा कि हमारे महागठबंधन में सीटों को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं है और सीट शेयरिंग के लिए जल्द ही कमेटी बनेगी। शुक्रवार को जीतनराम मांझी ने लालू यादव से मुलाकात की थी और इस मुलाकात को औपचारिक मुलाकात बताया है।
बता दें कि गुरुवार को मोदी सरकार के चार साल पूरे कर लेने के उपलक्ष्य में पटना के ज्ञान भवन में भाईचारा भोज का आयोजन किया गया था जिसमें एनडीए के नेतागण ने शिरकत की थी। लेकिन इस भोज में रालोसपा अध्यक्ष शामिल नहीं हुए थे। जिसके बाद कयासबाजी का दौर जारी रहा। शुक्रवार की सुबह उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई दी कि मुझे व्यक्तिगत काम आ गया था जिसकी वजह से मैं नहीं जा सका।
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