बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल वृक्ष है. हिन्दू परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है. अलग-अलग देवों से अलग अलग वृक्ष उत्पन्न हुए हैं, उस समय यक्षों के राजा मणिभद्र से वटवृक्ष उत्पन्न हुआ. ऐसा मानते हैं इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है.
यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है, इसकी छाल में विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है. जिस प्रकार पीपल को विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है, उसी प्रकार बरगद को शिव जी माना जाता है.
यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है, इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं. यह बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है, अतः इसे “अक्षयवट” भी कहा जाता है.
बरगद के वृक्ष का वैज्ञानिक और अनोखा महत्व क्या है ?
– इसकी छाया सीधे मन पर असर डालती है और मन को शांत बनाये रखती है .
– अकाल में भी यह वृक्ष हरा भरा रहता है , अतः इस समय पशुओं को इसके पत्ते और लोगों को इसके फल पर निर्वाह करना सरल होता है .
– इसकी डालियों और पत्तों से दूध निकलता है जिसका तांत्रिक प्रयोग होता है .
– इसकी छाल और पत्तों से औषधियां भी बनाई जाती हैं.अभी अभी: 4G डाउनलोडिंग स्पीड में भारत की हालत पाकिस्तान-श्रीलंका से भी खराब
शनि पीड़ा से मिलती है मुक्ति
– वटवृक्ष की जड़ में भगवान शिव का ध्यान करते हुए नियमित जल अर्पित करें .
– हर शनिवार को इस वृक्ष के तने में काला सूत तीन बार लपेटें.
– वहां दीपक जलाएं और वृक्ष से कृपा की प्रार्थना करें .
– इसके बाद वहीं वटवृक्ष के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करें.
– ये प्रयोग करने वाले को कभी भी कोई ग्रह पीड़ा नहीं दे सकता चाहे वो शनि हो या राहु.
ऐसे करेंगे उपासना तो होगी संतान प्राप्ति
– जहां तक संभव हो बरगद का वृक्ष लगायें और लगवाएं.
– हर सोमवार को बरगद की जड़ में जल डालें.
– इसके बाद उसके नीचे बैठकर “ॐ नमः शिवाय” का कम से कम 11 माला जाप करें .
– आपकी संतान उत्पत्ति की अभिलाषा शीघ्र से शीघ्र पूरी होग.
ऐसे होगा दाम्पत्य जीवन उत्तम
– पीला सूत, फूल और जल लेकर प्रातः काल वट वृक्ष के निकट जाएं.
– इसके बाद पहले वट वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं .
– फिर वृक्ष की जड़ में जल डालें और पुष्प अर्पित करें.
– वट वृक्ष की 9 बार परिक्रमा करें और पीली सूत उसके तने में लपेटते जाएं .
– सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें.