त्रिपुरा के शाही कल्चर के साथ-साथ माणिक्य राजवंश की गाथा को बयां करता हुआ उज्जयंता पैलेस यहां के शानदार धरोहरों में शामिल है। सफेद संगमरमर से चमकता हुआ ये महल राजधानी अगरतला में स्थित है। महल का निर्माण भले ही काफी सालों पहले हुआ है लेकिन इसकी खूबसूरती आज भी वैसी ही बरकरार है। सन् 1901 में राजा राधाकिशोर माणिक्य द्वारा महल का निर्माण कराया गया था। इंडो-ग्रीक स्टाइल में बने इस महल के आसपास कई सारे छोटे-छोटे बाग-बगीचे और मंदिर भी हैं, जिनमें लक्ष्मी नारायण, उमा-माहेश्वरी, काली और जगन्नाथ मंदिर प्रमुख हैं। हालांकि अब इस महल का इस्तेमाल कुछ समय तक राज्य की विधानसभा की बैठकों के लिए किया जाता है लेकिन अब टूरिस्टों के लिए इसे म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया गया है। जो नॉर्थ-ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा म्यूज़ियम है। उज्जयंता महल की खूबसूरती 800 एकड़ में फैले इस महल में सिंहासन रूम, दरबार हॉल, लाइब्रेरी और रिसेप्शन हॉल है। इस महल को एलेक्जेंडर मार्टिन ने डिज़ाइन किया था। महल में अलग-अलग जगहों का आर्किटेक्चर देखने को मिलता है। महल में तीन ऊंची गुंबदें हैं। सबसे ऊंचे गुंबद की ऊंचाई 86 फीट है। महल की खूबसूरती बढ़ाने का काम करते हैं म्यूज़िकल फाउंटेन, जो मुख्य द्वार पर लगे हैं। कहा जाता है उस समय इसे बनवाने में लगभग 10 लाख रूपए खर्च हुए थे। महल का नामकरण रविन्द्रनाथ टैगोर ने किया था।

त्रिपुरा के हर एक रंग की झलक देखने को मिलती है ‘उज्जयंता पैलेस’ में

त्रिपुरा के शाही कल्चर के साथ-साथ माणिक्य राजवंश की गाथा को बयां करता हुआ उज्जयंता पैलेस यहां के शानदार धरोहरों में शामिल है। सफेद संगमरमर से चमकता हुआ ये महल राजधानी अगरतला में स्थित है। महल का निर्माण भले ही काफी सालों पहले हुआ है लेकिन इसकी खूबसूरती  आज भी वैसी ही बरकरार है। सन् 1901 में राजा राधाकिशोर माणिक्य द्वारा महल का निर्माण कराया गया था। इंडो-ग्रीक स्टाइल में बने इस महल के आसपास कई सारे छोटे-छोटे बाग-बगीचे और मंदिर भी हैं, जिनमें लक्ष्मी नारायण, उमा-माहेश्वरी, काली और जगन्नाथ मंदिर प्रमुख हैं। हालांकि अब इस महल का इस्तेमाल कुछ समय तक राज्य की विधानसभा की बैठकों के लिए किया जाता है लेकिन अब टूरिस्टों के लिए इसे म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया गया है। जो नॉर्थ-ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा म्यूज़ियम है। त्रिपुरा के शाही कल्चर के साथ-साथ माणिक्य राजवंश की गाथा को बयां करता हुआ उज्जयंता पैलेस यहां के शानदार धरोहरों में शामिल है। सफेद संगमरमर से चमकता हुआ ये महल राजधानी अगरतला में स्थित है। महल का निर्माण भले ही काफी सालों पहले हुआ है लेकिन इसकी खूबसूरती  आज भी वैसी ही बरकरार है। सन् 1901 में राजा राधाकिशोर माणिक्य द्वारा महल का निर्माण कराया गया था। इंडो-ग्रीक स्टाइल में बने इस महल के आसपास कई सारे छोटे-छोटे बाग-बगीचे और मंदिर भी हैं, जिनमें लक्ष्मी नारायण, उमा-माहेश्वरी, काली और जगन्नाथ मंदिर प्रमुख हैं। हालांकि अब इस महल का इस्तेमाल कुछ समय तक राज्य की विधानसभा की बैठकों के लिए किया जाता है लेकिन अब टूरिस्टों के लिए इसे म्यूज़ियम में तब्दील कर दिया गया है। जो नॉर्थ-ईस्ट इंडिया का सबसे बड़ा म्यूज़ियम है।    उज्जयंता महल की खूबसूरती  800 एकड़ में फैले इस महल में सिंहासन रूम, दरबार हॉल, लाइब्रेरी और रिसेप्शन हॉल है। इस महल को एलेक्जेंडर मार्टिन ने डिज़ाइन किया था। महल में अलग-अलग जगहों का आर्किटेक्चर देखने को मिलता है। महल में तीन ऊंची गुंबदें हैं। सबसे ऊंचे गुंबद की ऊंचाई 86 फीट है। महल की खूबसूरती बढ़ाने का काम करते हैं म्यूज़िकल फाउंटेन, जो मुख्य द्वार पर लगे हैं। कहा जाता है उस समय इसे बनवाने में लगभग 10 लाख रूपए खर्च हुए थे। महल का नामकरण रविन्द्रनाथ टैगोर ने किया था।

उज्जयंता महल की खूबसूरती

800 एकड़ में फैले इस महल में सिंहासन रूम, दरबार हॉल, लाइब्रेरी और रिसेप्शन हॉल है। इस महल को एलेक्जेंडर मार्टिन ने डिज़ाइन किया था। महल में अलग-अलग जगहों का आर्किटेक्चर देखने को मिलता है। महल में तीन ऊंची गुंबदें हैं। सबसे ऊंचे गुंबद की ऊंचाई 86 फीट है। महल की खूबसूरती बढ़ाने का काम करते हैं म्यूज़िकल फाउंटेन, जो मुख्य द्वार पर लगे हैं। कहा जाता है उस समय इसे बनवाने में लगभग 10 लाख रूपए खर्च हुए थे। महल का नामकरण रविन्द्रनाथ टैगोर ने किया था।

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