नई दिल्ली: यमुना एक्सप्रेस वे का सुरक्षा ऑडिट दिल्ली आईआईटी ने पूरा कर लिया है। इसका ड्राफ्ट यमुना प्राधिकरण को सौंप दिया है। रिपोर्ट में हादसे रोकने के लिए सात प्रमुख सुझाव दिए गए हैं। इसमें रंबल स्ट्रिप, लेन व्यवस्था खत्म करने, गति पर नियंत्रण के लिए चालान सिस्टम को और दुरुस्त करने, साइन बोर्ड की संख्या बढ़ाने, फ्लस मीडियन आदि शामिल हैं।
यमुना प्राधिकरण इसको लेकर एक्सप्रेस वे प्रबंधन के साथ बैठक कर चुका है। यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसों को रोकने के लिए यमुना प्राधिकरण ने दिल्ली आईआईटी से सुरक्षा ऑडिट कराया है। आईआईटी ने सुरक्षा ऑडिट पूरा कर लिया है। इसका ड्राफ्ट प्राधिकरण को सौंप दिया गया है। ड्राफ्ट मिलने के बाद यमुना प्राधिकरण ने एक्सप्रेस वे प्रबंधन के साथ बैठक की।
बैठक में तय हुआ कि आईआईटी के प्रजेंटेशन के बाद इस पर अमल किया जाएगा। इन कामों को छह महीने में पूरा किया जाएगा। प्रजेंटेशन के बाद एक्सप्रेस वे प्रबंधन इन कामों में आने वाले खर्च का आकलन करेगा। यह पैसा यात्रियों से वसूलने की तैयारी है। सुरक्षा सेस के नाम से टोल की दरें बढ़ाई जाएंगी। जब इस पैसे की वसूली हो जाएगी तो इसे खत्म कर दिया जाएगा। दिल्ली आईआईटी ने सुरक्षा ऑडिट पूरा कर लिया है। इसमें सात प्रमुख सुझाव दिए हैं।
1-एक्सप्रेस वे के प्रवेश व निकास द्वार और जन सुविधाओं के पास रंबल स्ट्रिप लगाई जाएं ताकि वहां पर वाहनों की गति कम हो सके। इन जगहों पर हादसों की आशंका रहती है। अभी यहां पर वाहनों की गति कम करने का कोई प्रावधान नहीं है।
2-निकास द्वार पर क्रश एटीन्यूटर्स लगाए जाएं। एक्सप्रेस वे से निकलते समय वाहन तेज गति में होते हैं। ऐसे में अगर वाहन अनियंत्रित होता है तो क्रश एटीन्यूटर्स गाड़ी को क्षतिग्रस्त होने से बचाएंगे। इसमें नुकसान होने की आशंका काफी कम हो जाती है।
3-एक्सप्रेस वे पर साइन बोर्ड की संख्या बढ़ाई जाए। इसमें स्टाप, टोल प्लाजा, जन सुविधाएं और दूरी आदि का जिक्र हो ताकि चालकों को दिक्कत न उठानी पड़े। अभी साइन बोर्ड कम होने से चालकों को सही जानकारी मिलने में दिक्कत होती है।
4-एक्सप्रेस वे के किनारे बैरियर को और ऊंचा उठाया जाए ताकि बाहर से जानवर आदि ना आ सकें। अभी किनारे के बैरियर छोटे हैं। इसमें कोई भी आ सकता है। अगर अचानक कोई हाईवे पर आता है तो उससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है।
5- एक्सप्रेस वे पर बनाई गई लेन को खत्म किया जाए। अभी बाइक, कार, ओवरटेकिंग की लेन तय हैं। आईआईटी दिल्ली की टीम लेन खत्म करने के कारणों को अपने प्रजेंटेशन में बताएगी।
6- वाहनों की गति पर नियंत्रण के लिए चालान सिस्टम को और दुरुस्त किया जाए। अभी चालान सिस्टम है लेकिन वह बहुत प्रभावी नहीं है। चालान होने से वाहनों की गति पर लगाम लग सकती है।
7- डिवाइडर की जगह फ्लस मीडियन यह प्लेन होता है लेकिन वाहन नहीं चलते हैं बनाने का सुझाव दिया है। इसमें वाहन चलने की अनुमति नहीं होती है। लेकिन लोग यहां पर रुक सकते हैं।