दिल्ली सरकार ने आम जनता को बड़ी राहत का एलान करते हुए आदेश दिया था कि अब प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भर्ती मरीज को हॉस्पिटल के फार्मिस्ट से दवा खरीदने हेतु बाध्य होने की जरुरत है. सरकार की और से हेल्थ मिनिस्टर सतेंद्र जैन ने प्राइवेट हॉस्पिटल्स की मनमानी पर रोक लगाते हुए बड़ा ऐलान किया .आदेश में कहा गया था कि अब पेसेंट को हॉस्पिटल के फार्मिस्ट से दवा खरीदे जरूरी नही है, उसे इस हेतु बाध्य नही किया जा सकता. इस पर दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दिल्ली सरकार के प्राइवेट अस्पताल के मुनाफाखोरी पर लगाम कसने के विरोध किया है, मनोज तिवारी का कहना है कि भाजपा निजी अस्पताल के साथ मजबूती से खड़ी है.
ऐसे में ये समझना मुश्किल हो रहा है कि बीजेपी सिर्फ ‘आप’ का विरोध करने के लिए जनता के बजाय निजी अस्पताल के साथ मजबूती से खड़ी होना चाहती है. यहाँ शायद ये भी भुला दिया गया है कि अनजाने में ही मनोज तिवारी पीएम मोदी कि आयुष्मान भारत योजना के दावों की पोल भी खोल रहे है जिसमे बेहतर और सस्ते इलाज का वादा किया गया है और इसे विश्व की सबसे बड़ी योजनाओं का तमगा दिया गया है.
आप सरकार ने हल ही में केंद्र सरकार की तरफ से जारी NLEL लिस्ट जारी की जिसके हिसाब से ही डॉक्टर्स को भी मरीज को दवा लिखनी पड़ेगी जो मरीज को आसानी से बाजार में मिल जाये. सरकारी फरमान में ये भी कहा गया है कि हॉस्पिटल को इलाज से जुड़े पैकेज का पुरा ब्यौरा भी मरीज के परिजनों को स्पस्ट समझाना होगा. साथ ही दोबारा ओप्रशन कि स्थिति में भी मरीज पर दुगुना चार्ज नहीं लगाए जाने कि बात भी कही गई है. आपातकालीन स्थिति में मरीज का इलाज प्राथमिकता से किये जाने और आदेश की अवहेलना करने पर अस्पताल का लाइसेंस रद्द किये जाने तक की बात सरकार कि ओर से कही गई है. मगर इस मुद्दे पर भी बीजेपी का विरोध समझ से परे है
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