राजधानी में सोमवार से पेट्रोल पंप स्थित प्रदूषण जांच केंद्र (पीयूसी) शुल्क बढ़ोतरी की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। पीयूसी नहीं बनने से वाहन चालक दिनभर परेशान रहे। इस मामले में दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत का कहना है कि दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन से बात की जाएगी।
सोमवार को हड़ताल के पहले दिन दिल्ली के सभी केंद्र बंद रहे, जो वाहन प्रदूषण जांच कराने आए उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा। दिल्ली में स्थित 400 पेट्रोल पंपों पर 644 पीयूसी केंद्र हैं, जिससे रोजाना औसतन 12 हजार वाहनों की प्रदूषण जांच होती है। इससे करीब 10 लाख रुपये 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ शुल्क वसूले जाते हैं। बीते दिनों दिल्ली सरकार ने पीयूसी शुल्क में बढ़ोतरी की है।
नई दर के अनुसार, दो व तीन पहिया वाहन से 80 रुपये, चार पहिया वाहन के 110 रुपये तथा डीजल वाहनों से 140 रुपये का शुल्क पीयूसी जांच के लिए वसूला जाएगा। वहीं पेट्रोल पंप संचालक शुल्क को क्रमश: 150, 200 व 300 रुपये प्रति वाहन करने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने कहना है कि केंद्र के संचालन का खर्च और कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी को देखते हुए मौजूदा दरें काफी नहीं है।
चालान से बचने के लिए पड़ोसी राज्यों में करा रहे जांच
पीयूसी केंद्रों के बंद होने से कई वाहन चालकों को खाली हाथ लौटना पड़ा। वाहन चालकों का कहना है कि बिना पीयूसी पकड़े जाने पर 10000 का चालान है। ऐसी स्थिति नोएडा और गाजियाबाद में जांच प्रदूषण जांच कराने वाहन चालक गए।
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