विवेक विहार स्थित बेबी केयर न्यू बॉर्न अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अस्पताल में एक भी अग्निशामक यंत्र नहीं था। ये खुलासा शाहदरा जिला पुलिस द्वारा आला अधिकारियों को भेजने के लिए तैयार की गई आंतरिक रिपोर्ट से हुआ है। शाहदरा पुलिस ने किसी भी मृत नवजात के शव की डीएनए प्रोफाइलिंग नहीं करवाई है। बिना डीएनए जांच के ही सभी के शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं। हालांकि पुलिस ने सभी का डीएनए सैंपल लेकर रख लिया है।
- डीजीएचएस, सरकार द्वारा बेबी केयर न्यू बॉर्न अस्पताल को लाइसेंस जारी किया गया था। दिल्ली के एनसीटी की समय सीमा 31 मार्च, 2024 को पहले ही समाप्त हो चुकी थी।
- यहां तक कि समाप्त हो चुके लाइसेंस (उक्त अस्पताल को जारी) के अनुसार केवल 5 बिस्तरों की अनुमति थी, लेकिन घटना के समय अस्पताल में 12 नवजात बच्चे भर्ती थे।
- ड्यूटी डॉक्टर नवजात शिशु का इलाज करने के लिए योग्य/सक्षम नहीं था, क्योंकि वह केवल बीएएमएस डिग्री धारक हैं।
- आग लगने की स्थिति में आपातकालीन स्थिति के लिए उक्त अस्पताल में कोई अग्निशामक यंत्र नहीं लगा हुआ था।
- सबसे बड़ी बात किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में अस्पताल में कोई आपातकालीन निकास नहीं है।
अस्पताल की चार शाखाएं
विवेक विहार थाना पुलिस को पता लगा है कि बेबी केयर न्यू बॉर्न अस्पताल की 4 शाखाएं हैं। विवेक विहार के अलावा दिल्ली के पंजाबी बाग, फरीदाबाद और गुरुग्राम में हैं। अस्पताल के मालिक डॉ. नवीन पश्चिम विहार में रहते हैं। वह बाल चिकित्सा में एमडी हैं। उनकी पत्नी डॉ. जागृति दंत चिकित्सक हैं।
परिजनों ने शवों की पहचान कर ली थी
शाहदरा जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार, परिजनों ने अपने-अपने बच्चों के शवों की पहचान कर ली थी। इस कारण शवों की डीएनए जांच नहीं कराई गई है। हालांकि पुलिस ने सभी मृत बच्चों के डीएनए सैंपल रख लिए हैं। अगर किसी तरह की विवाद खड़ा होता है तो फिर डीएनए कराया जाएगा।
ऑक्सीजन के 32 सिलिंडर रखे हुए थे
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, पांच बेड वाले इस अस्पताल में ऑक्सीजन के 32 सिलिंडर रखे हुए थे। आग लगने के बाद ये सिलिंडर फटते चले गए। इससे आग विकराल हो गई।
कम पैसों पर बीएएमएस डॉक्टर रखा था
पुलिस को शुरुआती जांच में पता लगा कि डाॅ. आकाश आयुर्वेदिक डाॅक्टर है। पता लगा कि डाॅ. आकाश को कम तनख्वाह दी जा रही थी, इस कारण उन्हें रखा हुआ था।
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