राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की 2200 किमी से अधिक सड़क, फुटपाथ और गलियों में अवैध रूप से कब्जा कर रखा गया था। यह लंबाई नई दिल्ली से कन्याकुमारी जितनी है। शुक्रवार को यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह समस्या की गंभीरता को रेखांकित करता है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कोर्ट को दी गई उस सूचना के बाद आई है, जिसमें उत्तरी दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन ने 31 अगस्त को दावा किया था, उसने 844.33 किमी, 811.01 किमी और 601.2 किमी सड़कों और फुटपाथों को अतिक्रमण से मुक्त कराया। इसी प्रकार से नई दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन और डीडीए ने बताया था कि उन्होंने क्रमशः 11 किमी और 12.44 किमी सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त कराया है।
एसटीएफ की रिपोर्ट साझा नहीं करने पर कोर्ट खफा
कमेटी द्वारा जल स्रोतों और वन भूमि पर कब्जे को चिंता का विषय बताने पर दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि वह इस संबंध में वन विभाग और दिल्ली जल बोर्ड द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक हलफनामा दायर करेंगे। कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण की तरफ से पेश एएसजी मनिंदर सिंह से एसटीएफ की रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड कराने को कहा।
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