दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। उनके खिलाफ अब प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस से राजनीतिक चंदा लेने का आरोप लगा है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से इसकी जांच कराने की सिफारिश की है।
शिकायत में कहा गया है, केजरीवाल ने 2014 में अपनी न्यूयॉर्क यात्रा के दौरान गुरुद्वारा रिचमंड हिल्स में खालिस्तान समर्थक नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की थी। इसमें कथित तौर पर केजरीवाल ने भुल्लर की रिहाई में मदद का वादा किया था। शिकायतकर्ता ने कहा है, पूर्व आप कार्यकर्ता मुनीश कुमार रायजादा ने भी इस बैठक की तस्वीरें साझा की थीं
भारद्वाज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एनआईए जांच को आप ने राजनीतिक षड़यंत्र करार दिया है। पार्टी का कहना है कि चुनाव से पहले भाजपा आरोप लगाती है। 2022 में हुए पंजाब चुनाव के दौरान भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उस समय जांच भी हुई थी, लेकिन कुछ नहीं निकला। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हर चुनाव से पहले केजरीवाल पर इसी प्रकार के आरोप लगाना भाजपा का राजनीतिक षड़यंत्र बन गया है।
उच्च न्यायालय ने की थी खारिज
सौरभ भारद्वाज के मुताबिक, दो साल पहले इसी मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। अदालत ने इस पहली नजर में खारिज कर दिया था। तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने जगदीश शर्मा की दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह पूरी तरह से तुच्छ है।
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एनआईए जांच की सिफारिश का स्वागत किया। कहा कि जेल में बंद अरविंद केजरीवाल का खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का समर्थन था। उनके राजनीतिक कॅरियर के दौरान और एनजीओ हेड के रूप में काम करते थे। तब से देश ने देखा है कि अरविंद केजरीवाल हमेशा से अलगाववादी कार्यक्रमों के प्रति नरम दिल रखते हैं। यासीन मलिक जैसे लोगों को समर्थन के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है। खलिस्तान लिबरेशन फ्रंट (केएलएफ) और जेकेएलएफ के प्रति भी उनका नरम दिल था। सिख फॉर जस्टिस से केजरीवाल के वित्तीय सहायता स्वीकार करने की संभावनाओं को नकार नहीं सकते हैं। 2017 में पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान जब वह एक केएलएफ के नेता गुरविंदर सिंह के आवास पर ठहरे भी थी।
सजायाफ्ता कैदियों की समय से पूर्व रिहाई पर विचार करने के लिए गठित दिल्ली सरकार के बोर्ड ने भुल्लर के मामले की दिसंबर, 2023 में समीक्षा की थी। बोर्ड ने भुल्लर की समयपूर्व रिहाई खारिज कर दी थी। बोर्ड ने कहा कि भुल्लर का मामला समयपूर्व रिहाई के लिए सही नहीं है। बोर्ड की बैठक के मिनट्स में कहा गया कि अगर ऐसे दोषी को रिहा किया जाता है, तो वह देश की संप्रभुता, अखंडता और शांति के लिए सीधा खतरा पैदा कर सकता है। केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र में उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव ने केजरीवाल की ओर से जनवरी 2014 में इकबाल सिंह नामक व्यक्ति को लिखे पत्र का हवाला भी दिया है, जिसमें उल्लेख किया गया था कि आप सरकार ने पहले ही राष्ट्रपति को प्रोफेसर भुल्लर की रिहाई की सिफारिश की है और एसआईटी आदि के गठन समेत अन्य मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक और समयबद्ध तरीके से काम किया जाएगा। भुल्लर की रिहाई के लिए लिखित आश्वासन की मांग को लेकर इकबाल सिंह जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठा था और केजरीवाल का पत्र मिलने के बाद ही उसने अपना अनशन खत्म किया।