मुस्लिम महिलाओं के फुटबॉल मैच देखने पर सऊदी अरब से जारी फतवा का देवबंदी उलमा ने भी समर्थन किया है। उलमा का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं का पुरुषों का फुटबॉल मैच देखना हराम है, साथ ही यह भी कहा कि सऊदी अरब हुकूमत को अपनी परंपराओं को बरकरार रखना चाहिए।
 पिछले दिनों सऊदी अरब हुकूमत ने मुस्लिम महिलाओं को स्टेडियम में जाकर फुटबॉल मैच देखने की अनुमति दी थी। जिसके बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने स्टेडियम में जाकर मैच देखा, लेकिन कुछ कट्टरपंथी लोगों को ये रास नहीं आया। जिसको लेकर सऊदी अरब में धार्मिक मामलों के जानकार मुफ्ती साद हिजरी से किसी व्यक्ति ने सवाल पूछा कि क्या मुस्लिम महिलाओं का पुरुषों का फुटबॉल मैच देखना जायज है। इस पर मुफ्ती साद ने फतवा दिया कि ये महिलाओं के लिए हराम है। तर्क भी दिया कि मैच के दौरान महिलाओं की नजर खिलाड़ियों की जांघों पर पड़ती है, जिन्हें देखना हराम है। इस पर जब फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी से पूछा गया तो उन्होंने सऊदी अरब से जारी फतवे को सही बताया, साथ ही कहा कि सऊदी अरब को धार्मिक मामलों के नजरिये से पूरी दुनिया में देखा जाता है। इसलिए सऊदी क्राउन मोहम्मद बिन सलमान को चाहिए कि वे वहां की परंपराओं को बरकरार रखें और कोई भी ऐसी नई परंपरा न बनाएं जिससे पूरी दुनिया में उस पर चर्चा हो।
पिछले दिनों सऊदी अरब हुकूमत ने मुस्लिम महिलाओं को स्टेडियम में जाकर फुटबॉल मैच देखने की अनुमति दी थी। जिसके बाद बड़ी संख्या में महिलाओं ने स्टेडियम में जाकर मैच देखा, लेकिन कुछ कट्टरपंथी लोगों को ये रास नहीं आया। जिसको लेकर सऊदी अरब में धार्मिक मामलों के जानकार मुफ्ती साद हिजरी से किसी व्यक्ति ने सवाल पूछा कि क्या मुस्लिम महिलाओं का पुरुषों का फुटबॉल मैच देखना जायज है। इस पर मुफ्ती साद ने फतवा दिया कि ये महिलाओं के लिए हराम है। तर्क भी दिया कि मैच के दौरान महिलाओं की नजर खिलाड़ियों की जांघों पर पड़ती है, जिन्हें देखना हराम है। इस पर जब फतवा ऑनलाइन के चेयरमैन मौलाना मुफ्ती अरशद फारुकी से पूछा गया तो उन्होंने सऊदी अरब से जारी फतवे को सही बताया, साथ ही कहा कि सऊदी अरब को धार्मिक मामलों के नजरिये से पूरी दुनिया में देखा जाता है। इसलिए सऊदी क्राउन मोहम्मद बिन सलमान को चाहिए कि वे वहां की परंपराओं को बरकरार रखें और कोई भी ऐसी नई परंपरा न बनाएं जिससे पूरी दुनिया में उस पर चर्चा हो। 
मौलाना जीशान कासमी का कहना है कि धार्मिक मामलों में सऊदी अरब को सबसे पहले देखा जाता है कि किसी भी मसले पर उसका क्या नजरिया है। जब वहां की हुकूमत ने मुस्लिम महिलाओं को स्टेडियम में जाकर फुटबॉल मैच देखने की अनुमति दी तभी से ये मामला चर्चाओं में रहा है। सऊदी अरब के मुफ्ती ने जो फतवा जारी किया है वे शरीयत के लिहाज से दुरुस्त है।
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