मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र सामना में बुर्का पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। सामना में लिखा गया है कि भीषण बम विस्फोट के बाद श्रीलंका में बुर्का और नकाब सहित चेहरा ढंकने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है, ऐसा राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेना ने घोषित किया है। हम इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को भी श्रीलंका के राष्ट्रपति के कदमों पर कदम रखते हुए हिन्दुस्तान में भी बुर्का और उसी तरह नकाब बंदी करें ऐसी मांग राष्ट्रहित के लिए कर रहे हैं।
फ्रांस में भी आतंकवादी हमला होते ही वहां की सरकार ने बुर्काबंदी की, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन में भी यही हुआ। फिर इस बारे में हिंदुस्तान पीछे क्यों? एक तो असंख्य मुस्लिम युवतियां बुर्का नकारना चाहती हैं और दूसरी बात ये है कि बुर्के की आड़ में निश्चित क्या चल रहा होता है। इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। बुर्के का इस्तेमाल कर देशद्रोह और आतंकवाद फैलाने के उदाहरण सामने आए हैं।
तुर्किस्तान इस्लामी राष्ट्र है लेकिन कमाल पाशा को जब संदेह हुआ कि बुर्के की आड़ में कुछ हो रहा है तो उसने अपने देश में मुस्लिम युवकों की दाढ़ी और बुर्का पर प्रतिबंध लगाया ही था। सामना में आगे लिखा है कि मोदी को यह सब कराना होगा। यह कार्य सर्जिकल स्ट्राइक जितना ही यह कार्य हिम्मत का है। श्रीलंका के राष्ट्र प्रमुख ने इसे किया है।
उन्होंने एक रात में बुर्काबंदी की। चेहरा ढंकने वाली किसी भी बात से व्यक्ति की पहचान करने में मुश्किलें न आए इसीलिए आपातकालीन नियमों के तहत इस तरह की बातों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है ऐसा श्रीलंका के राष्ट्रपति ने घोषित किया है।
फेस मास्क या अन्य साधनों से चेहरा ढंकने वाले व्यक्ति राष्ट्रीय और सामाजिक सुरक्षा के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का या नकाब पहनना आपराधिक कार्य माना जाएगा, ऐसा घोषित करके श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल ने साहस और धैर्य का दर्शन कराया है। रावण की लंका में जो हुआ वो राम की अयोध्या में कब होगा। प्रधानमंत्री मोदी आज अयोध्या निकले हंै। इसीलिए यह सवाल है।