नई दिल्ली : भारत मे आज भी कुछ ऐसी नदिया और पर्वत और वनस्पति हैं जिनके चमत्कार का रहस्य विज्ञान भी नहीं खोजपाया है। झारखंड के रत्नगर्भा क्षेत्र निकलने वाली स्वर्णरेखा नदी भी एक ऐसा ही अजूबा है। यहां के आदिवासी स्वर्ण रेखा को नंदा के नाम से पुकारते हैं। दरअसल इस नदी के पानी में सोने के कण शामिल रहते हैं। आदिवासी लोग तल को छान-छान कर इन स्वर्ण कणो को इकट्ठा करते हैं और फिर सोने का कारोबार करने वालो को बेच देते हैं।

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स्वर्ण रेखा या फिर आदिवासियों के बीच नंदा के नाम से जानी जाने वाली इस नदी में सोने के कण पाए जाते हैं, इसलिए इसका नाम स्वर्ण रेखा पडा है। यहां की आदिवासी दिन रात इन कणों को एकत्रित करते है और स्थानीय व्यापारियों को बेचकर रोजी रोटी कमाते है। इस नदी से जुडी हुई एक हैरान कर देने वाली बात ये है कि रांची स्थित ये नदी अपने उदगम स्थल से निकलने के बाद उस क्षेत्र की किसी भी अन्य नदी में जाकर नहीं मिलती, बल्कि यह नदी सीधे बंगाल की खाडी में गिरती है। इस नदी की रेत से निकलने वाले सोने के कणों का अपना ही रहस्य है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक कितनी ही सरकारी मशीनों द्वारा इस नदी पर शोध किया गया है, लेकिन वे इस बात का पता लगाने में असमर्थ रहे हैं कि आखिरकार यह कण जमीन के किस भाग में विकसित होते हैं।
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