भगवान शिव को महाकाल यानी कालों का भी काल कहा जाता है। इसलिए भगवान शिव के भक्तों को यमराज भी दंड देने से घबराते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि जो शिव भक्त माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान शिव के लिए व्रत और पूजा करते हैं उन्हें नरक जाने से मुक्ति मिल जाती है। क्योंकि यह चतुर्दशी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शास्त्रों में इसका कारण यह बताया गया है कि, इसी दिन हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती की शादी का प्रस्ताव भगवान शिव के पास भेजा था, यानी इसी दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ था।![नरक जाने से बचाती है यह चतुर्दशी, ये है वजह](http://hindi.tosnews.com/wp-content/uploads/2017/01/shiv-parvati-vivaah_1459252157.jpeg)
![नरक जाने से बचाती है यह चतुर्दशी, ये है वजह](http://hindi.tosnews.com/wp-content/uploads/2017/01/shiv-parvati-vivaah_1459252157.jpeg)
इस तिथि से ठीक एक महीने के बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का देवी पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ। शास्त्रों में कहा गया है कि प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि शिवरात्रि के समान खास है लेकिन उनमें माघ और फाल्गुन मास की चतुर्दशी शिव को सबसे अधिक प्रिय है।
शास्त्रों में बताया गया है कि माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक निवारक चतुदर्शी है। इसदिन व्रत रखकर जो व्यक्ति भगवान शिव सहित पार्वती और गणेश की पूजा करता है उन पर शिव प्रसन्न होते हैं।
नर्क जाने से बचने के लिए नरक निवारण चतुर्दशी के दिन भगवान शिव को बेलपत्र और खासतौर पर बेड़ जरुर भेंट करना चाहिए। शिव का व्रत रखने वाले को पूरे दिन निराहार रहकर शाम में व्रत खोलना चाहिए। व्रत खोलने के लिए सबसे पहले बेर और तिल खाएं। इससे पाप कट जाते हैं और व्यक्ति स्वर्ग में स्थान पाने का अधिकारी बनता है।
लेकिन सिर्फ व्रत से ही काम नहीं चलेगा आपको यह भी प्रण करना होगा कि मन, वचन और कर्म से जान बूझकर कभी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएंगे। क्योंकि भूखे रहने से नहीं नियम पालन से पूरा होता है।