आज नवरात्रि का तीसरा दिन है। यह दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने के लिए होता है। कहा जाता है इस दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा उपासना की जाती है। माँ चंद्रघंटा के सर पर घंटे के आकार का चन्द्रमा होता है और इस वजह से इनको चंद्रघंटा के नाम से पुकारा जाता है। कहते हैं इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है। इसी के साथ मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं। अब अगर ज्योतिष को माने तो उसके अनुसार इनका सम्बन्ध मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं आज के दिन किया जाने वाला उपाय, मां चंद्रघंटा का मंत्र,भोग।
साहस प्राप्ति और भय से मुक्ति के लिये क्या करें?- इसके लिए मध्यरात्रि में लाल वस्त्र धारण करें। अब सबसे पहले आप अपने गुरु को प्रणाम करें और इसके बाद मां दुर्गा के सामने दीपक जलाएं और ज्योति ध्यान करें। अब इसके बाद दुर्गा कवच का विधि विधान से पाठ करें और अगर संभव हो तो नवार्ण मंत्र का यथाशक्ति जप करें।
भोग: आज मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इसी के साथ पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करें।
मंत्र – पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
मां चंद्रघंटा का मंत्र – या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
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