नागपंचमी पर नागों की पूजा कर आध्यात्मिक शक्ति और धन मिलता है. लेकिन इस पूजा के दौरान कुछ बातों का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. हिंदू परंपरा में नागों की पूजा क्यों की जाती है और ज्योतिष में नाग पंचमी का क्या महत्व है.
पंडित शैलेंद्र मिश्र के अनुसार कालसर्प योग जैसा कुछ नहीं होता. इसलिए नागपंचमी पर ऐसी किसी भी पूजा को ना करवाएं. नाग पंचमी पर भगवान शंकर की पूजा करें. लेकिन कालसर्प योग के नाम पर भगवान शिव की पूजा करवाना सही और उचित नहीं है.
नागपंचमी का महत्व, जानें क्यों की जाती है नागों की पूजा
श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस तिथि को भगवान शिव के आभूषण नागों की पूजा की जाती है.
नागों की पूजा करके आध्यात्मिक और अपार धन की प्राप्ति की जा सकती है.
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है.
जिनकी कुंडली में विषकन्या या अश्वगंधा योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए. जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए.
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पूजा का सही तरीका
नागपंचमी की पूजा करने से पहले यह जान लें कि नाग पंचमी पर सामान्य तरीके से पूजा उपासना कैसे की जाएगी.
सुबह-सुबह स्नान करके भगवान शंकर का स्मरण करें. नागों की पूजा शिव के अंश के रूप में और शिव के आभूषण के रूप में ही की जाती है. क्योंकि नागों का कोई अपना अस्तित्व नहीं है. अगर वो शिव के गले में नहीं होते तो उनका क्या होता. इसलिए पहले भगवान शिव का स्मरण करेंगे. शिव का अभिषेक करें, उन्हें बेहपत्र और जल चढ़ाएं.
इसके बाद शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करेंगे. नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करेंगे. इसके बाद चने, खील बताशे और जरा सा कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करेंगे.
घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें.
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं.
इसके बाद ‘ऊं कुरु कुल्ले फट् स्वाहा’ का जाप करते हुए घर में जल छिड़कें. अगर आप नागपंचमी के दिन आप सामान्य रूप से भी इस मंत्र का उच्चारण करते हैं तो आपको नागों का तो आर्शीवाद मिलेगा ही साथ ही आपको भगवान शंकर का भी आशीष मिलेगा.
बिना शिव जी की पूजा के कभी भी नागों की पूजा ना करें. क्योंकि शिव की पूजा करके नागों की पूजा करेंगे तो वो कभी अनियंत्रित नहीं होंगे.
नागों की स्वतंत्र पूजा ना करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें.
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भूलकर भी ये ना करें
1. जो लोग भी नागों की कृपा पाना चाहते हैं उन्हें नागपंचमी के दिन ना तो भूमि खोदनी चाहिए और ना ही साग काटना चाहिए.
2. उपवास करने वाला मनुष्य सांयकाल को भूमि की खुदाई कभी न करे.
3. नागपंचमी के दिन धरती पर हल न चलाएं
4. देश के कई भागों में तो इस दिन सुई धागे से किसी तरह की सिलाई आदि भी नहीं की जाती
5. न ही आग पर तवा और लोहे की कड़ाही आदि में भोजन पकाया जाता है.
6. किसान लोग अपनी नई फसल का तब तक प्रयोग नहीं करते जब तक वह नए अनाज से बाबे को रोट न चढ़ाएं.
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राहु-केतु से परेशान हों तो क्या करें
एक बड़ी सी रस्सी में सात गांठें लगाकर प्रतिकात्मक रूप से उसे सर्प बना लें. इसे एक आसन पर स्थापित करें. अब इस पर कच्चा दूध, बताशा और फूल अर्पित करें. साथ ही गुग्गल की धूप भी जलाएं.
इसके पहले राहु के मंत्र ‘ऊं रां राहवे नम:’ का जाप करना है और फिर केतु के मंत्र ‘ऊं कें केतवे नम:’ का जाप करें.
जितनी बार राहु का मंत्र जपेंगे उतनी ही बार केतु का मंत्र भी जपना है.
मंत्र का जाप करने के बाद भगवान शिव का स्मरण करते हुए एक-एक करके रस्सी की गांठ खोलते जाएं. फिर रस्सी को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें. राहु और केतु से संबंधित जीवन में कोई समस्या है तो वह समस्या दूर हो जाएगी.
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सांप से डर लगता है या सपने आते हैं…
अगर आपको सर्प से डर लगता है या सांप के सपने आते हैं तो चांदी के दो सर्प बनवाएं. साथ में एक स्वास्तिक भी बनवाएं. अगर चांदी का नहीं बनवा सकते तो जस्ते का बनवा लीजिए.
अब थाल में रखकर इन दोनों सांपों की पूजा कीजिए और एक दूसरे थाल में स्वास्तिक को रखकर उसकी अलग पूजा कीजिए.
नागों को कच्चा दूध जरा-जरा सा दीजिए और स्वास्तिक पर एक बेलपत्र अर्पित करें. फिर दोनों थाल को सामने रखकर ‘ऊं नागेंद्रहाराय नम:’ का जाप करें.
इसके बाद नागों को ले जाकर शिवलिंग पर अर्पित करेंगे और स्वास्तिक को गले में धारण करेंगे.
ऐसा करने के बाद आपके सांपों का डर दूर हो जाएगा और सपने में सांप आना बंद हो जाएंगे.