सरकारी बैंकों पर बडे़ उद्योगों के कई लाख करोड़ के कर्ज बकाया हैं जिन्हें बैड लोन करार दे दिया गया है। इनमें से कई कर्ज सरकार या राजनीतिक दलों के दबाव में दे दिए जाते हैं। इनमें किंगफिशर एयरलाइन का ताजा उदाहरण है। डूबती हुई कंपनी होने के बावजूद आईडीबीआई बैंक ने विजय माल्या की कंपनी को सैकड़ों करोड़ रुपए का कर्ज दे दिया था।
राजीव कुमार का मानना है कि पीजे नायक कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी को एक अलग होल्डिंग कंपनी के हवाले कर देना चाहिए। वह इसमें सरकार की हिस्सेदारी घटाकर बाजार से पैसे जुटाकर जनता की हिस्सेदारी बढ़ाएगी।
लेहमान से लेकर नोटबंदी तक पिछले 10 सालों में अर्थव्यवस्था में लाए बड़े बदलावों पर लिखी तमाल बंदोपाद्धयाय की किताब के विमोचन समारोह में नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि, ‘इस कंपनी के बोर्ड में कुछ सरकारी अधिकारी हो सकते हैं लेकिन इससे उन पर सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण खत्म हो जाएगा। इससे वे न सिर्फ सरकार के दबाव में बैड लोन देने से बचेंगे बल्कि उन पर सीएजी और सीवीसी जैसी सरकारी संस्थाओं का अंकुश खत्म हो जाएगा। अभी वे काफी फैसले इसी दबाव में नहीं ले पाते कि ये संस्थाएं उनके फैसलों की समीक्षा करेंगी। हालांकि इस निजीकरण के बावजूद वे रिजर्व बैंक की नीतियों के अनुसार ही चलने को बाध्य होंगे।’
राजीव कुमार सरकारी बैंकों को विदेशी बैंकों के हवाले करने के खिलाफ हैं। उनका कहना था कि फिलीपींस की राजधानी मनीला में नौ साल के अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसी देश की अर्थव्यवस्था पर विदेशी बैंकों के असर को बहुत करीब से देखा है।
कोटक महिंद्रा और इंडस्ट्री इंड जैसे निजी बैंकों द्वारा जमा खाते पर छह फीसदी ब्याज दिए जाने के बावजूद लोग अभी भी साढ़े तीन फीसदी ब्याज देने वाले सरकारी बैंकों में पैसा इसीलिए जमा करते हैं क्योंकि इनकी विश्वसनीयता अधिक है। इसके अलावा सरकारी बैंकों के सामाजिक सरोकार भी हैं जो उनका निजीकरण होते ही तिरोहित कर दिए जाएंगे। निजी बैंकों का केवल एक ही सरोकार होता है -लाभ कमाना जबकि सरकारी बैंक ग्रामीण अंचलों में भी बैंकिंग सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
सरकार से पूछ कर रेट तय करे आरबीआई
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारतीय रिजर्व बैंक को ऐसी नीतियां बनाने की सलाह दी है जिनसे रोजगार के अवसर पैदा हों। उनका कहना था कि रिजर्व बैंक का काम केवल ब्याज दर घटाना-बढ़ाना या एक्सचेंज रेट तय करना भर नहीं है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान के पूछने पर कि आरबीआई रोजगार के अवसर कैसे पैदा कर सकता है, राजीव कुमार ने कहा कि सरकार से सलाह करके ही उसे रेट तय करने चाहिए।
पिछले कुछ समय से सरकार और आरबीआई के बीच ब्याज दर को लेकर तनातनी चल रही है। सरकार चाहती है कि रेट कम हों जिससे बाजार में तरलता आए जबकि पिछले कई बार से आरबीआई ने ब्याज दर को कम करने का फैसला नहीं लिया है।