यौन शोषण केस में लगभग पिछले पांच साल से कैद आसाराम के भविष्य का फैसला आज होने वाला है, दलित एवं नाबालिग युवती से रेप के मामले में आसाराम पर एससी-एसटी ऐक्ट और पोक्सो ऐक्ट के तहत केस चल रहा है, यदि वह दोषी करार दिए जाते हैं तो आसाराम को कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है. लेकिन क्या आप असुमल के आसाराम बनने की कहानी जानते हैं, अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि कौन था आसाराम और कैसे बना धर्मगुरु .
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आसाराम का असली नाम असुमल थाउमल हरपलानी है. उसका परिवार मूलतः सिंध, पाकिस्तान के जाम नवाज अली तहसील का रहनेवाला था, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद उसका परिवार अहमदाबाद में आकर बस गया था. बताया जाता है कि असुमल का परिवार लकड़ी और कोयले बेचकर गृहस्ती चलाता था, साथ ही दुनिया को प्रवचन देने वाला आसाराम तीसरी तक ही पढ़ा है. पिता की मौत के बाद असुमल ने कभी तांगा चलाया तो कभी चाय बेची, कहा तो यह भी जाता है कि असुमल गुजरात में शराब ब्लैक करता था. बताया जाता है कि 15 साल की उम्र में असुमल अहमदाबाद के एक आश्रम में रहने आ गया था.
आध्यात्मिक गुरु लीलाशाह से असुमल ने दीक्षा ली और फिर साधना करने के बाद गुरु लीलाशाह ने ही उसका नाम आसाराम बापू रखा. अपने पहले आश्रम और ट्रस्ट की स्थापना आसाराम बापू ने 1973 में अहमदाबाद के मोटेरा गाँव में में की, जिसके बाद तो आसाराम के साम्राज्य में इजाफा होते चला गया. यहाँ तक कि कई राजनीतिक पार्टियों में में भी उसकी गहरी पैठ बन गई. 1997 से आसाराम पर आरोपों का दौर शुरू हुआ, जब उसपर रेप, जमीन हड़पने, हत्या जैसे कई आरोप लगे, 2008 में जब आसाराम पर तांत्रिक क्रिया करने के दौरान एक बच्चे की हत्या करने का आरोप लगा तब तत्कालीन सीएम मोदी ने उसपर जाँच कमिटी बिठाई, उस वक़्त आसाराम ने मोदी को कहा था कि “तू भस्म हो जाएगा”. 2013 में आसाराम पर नाबालिग लड़की से बलात्कार का आरोप लगा, जिसके बाद आसाराम भगा-भगा फिरने लगा, यहाँ तक कि वो पूछताछ के लिए भी पुलिस के सामने नहीं आया. लेकिन गैर जमानती वारंट जारी होने पर 1 सितम्बर 2013 को जोधपुर पुलिस ने उसे इंदौर आश्रम से गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद से आसाराम अभी तक जेल में ही है.
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