तेजी से घटते पारंपरिक ईंधन के चलते पूरी दुनिया में विकल्‍पों की तलाश हो रही है। इसमें सौर ऊर्जा से लेकर तमाम तरह के दूसरे ईधन तैयार करने की कोशिशें हो रही हैं। जिससे भविष्य में पेट्रोल-डीजल के बिना भी गाड़ियां और मशीनें चलाई जा सकें। इसी तरह के एक प्रयास में इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिकों के दल ने कई सालों के अध्‍ययन के बाद एक ऐसी तकनीक का खुलासा किया है जो इथेनॉल को बुटेनॉल नाम के ईंधन में बदल देती है। सबसे बड़ी बात है कि बुटेनॉल, इथेनॉल की तुलना में ज्यादा बेहतरीन ईंधन है और यह पेट्रोल डीजल का बेहतरीन विकल्प बन सकता है। कैसे बनता है बुटेनॉल शोधकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो सभी तरह के अल्‍कोहल पेय में इथेनॉल मौजूद होता है परंतु बियर से इसे प्राप्‍त करके वाहनों के ईंधन में बदलना काफी आसान है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है की भले ही अभी बियर को किसी कार को चलाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, लेकिन लैब टेस्टिंग के लिए बियर आधारित ईंधन का इस्‍तेमाल एक बेहतरीन विकल्‍प है। 2022 तक बीयर से चलने लगेंगी गाड़ियां यह भी पढ़ें 2022 तक आयेगा प्रयोग में ब्रिस्‍टल यूनीवर्सिटी की इस रिसर्च टीम का मानना है कि बुटेनॉल की लैब टेस्टिंग में अभी कुछ साल और लगेंगे, तब जाकर वे इसे बिल्कुल सही तरीके से बना पाएंगे और उसे कारों और ट्रकों में इस्‍तेमाल कर पाएंगे। दुनियाभर को हैरान करने वाली इस बात को लेकर अभी भले ही निश्‍चिंत होना कठिन है कि कारें भी बियर पीकर सड़क पर दौड़ेंगी, लेकिन भविष्‍य में इस बात की पूरी संभावना है कि बियर के बाईपास प्रोडक्ट बुटेनॉल से कारें और मशीनें चलती नजर आएंगी। क्‍योंकि अभी ब्रूट्रोलियम नाम से कई देशों में बियर से बना बायो फ्यूल बिक रहा है। फ्रांस से लेकर न्‍यूजीलैंड तक कई देशों में बियर के कचरे से बनने वाला बायोफ्यूल ब्रूट्रोलियम भरवाकर लोग अपनी कारें भी चलाना शुरु कर चुके हैं।

पी कर गाड़ी चलाना है गैर कानूनी पर गाड़ी पिये तो परेशान ना हों

तेजी से घटते पारंपरिक ईंधन के चलते पूरी दुनिया में विकल्‍पों की तलाश हो रही है। इसमें सौर ऊर्जा से लेकर तमाम तरह के दूसरे ईधन तैयार करने की कोशिशें हो रही हैं। जिससे भविष्य में पेट्रोल-डीजल के बिना भी गाड़ियां और मशीनें चलाई जा सकें। इसी तरह के एक प्रयास में इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिकों के दल ने कई सालों के अध्‍ययन के बाद एक ऐसी तकनीक का खुलासा किया है जो इथेनॉल को बुटेनॉल नाम के ईंधन में बदल देती है। सबसे बड़ी बात है कि बुटेनॉल, इथेनॉल की तुलना में ज्यादा बेहतरीन ईंधन है और यह पेट्रोल डीजल का बेहतरीन विकल्प बन सकता है।तेजी से घटते पारंपरिक ईंधन के चलते पूरी दुनिया में विकल्‍पों की तलाश हो रही है। इसमें सौर ऊर्जा से लेकर तमाम तरह के दूसरे ईधन तैयार करने की कोशिशें हो रही हैं। जिससे भविष्य में पेट्रोल-डीजल के बिना भी गाड़ियां और मशीनें चलाई जा सकें। इसी तरह के एक प्रयास में इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के वैज्ञानिकों के दल ने कई सालों के अध्‍ययन के बाद एक ऐसी तकनीक का खुलासा किया है जो इथेनॉल को बुटेनॉल नाम के ईंधन में बदल देती है। सबसे बड़ी बात है कि बुटेनॉल, इथेनॉल की तुलना में ज्यादा बेहतरीन ईंधन है और यह पेट्रोल डीजल का बेहतरीन विकल्प बन सकता है।  कैसे बनता है बुटेनॉल  शोधकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो सभी तरह के अल्‍कोहल पेय में इथेनॉल मौजूद होता है परंतु बियर से इसे प्राप्‍त करके वाहनों के ईंधन में बदलना काफी आसान है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है की भले ही अभी बियर को किसी कार को चलाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, लेकिन लैब टेस्टिंग के लिए बियर आधारित ईंधन का इस्‍तेमाल एक बेहतरीन विकल्‍प है।   2022 तक बीयर से चलने लगेंगी गाड़ियां यह भी पढ़ें 2022 तक आयेगा प्रयोग में  ब्रिस्‍टल यूनीवर्सिटी की इस रिसर्च टीम का मानना है कि बुटेनॉल की लैब टेस्टिंग में अभी कुछ साल और लगेंगे, तब जाकर वे इसे बिल्कुल सही तरीके से बना पाएंगे और उसे कारों और ट्रकों में इस्‍तेमाल कर पाएंगे। दुनियाभर को हैरान करने वाली इस बात को लेकर अभी भले ही निश्‍चिंत होना कठिन है कि कारें भी बियर पीकर सड़क पर दौड़ेंगी, लेकिन भविष्‍य में इस बात की पूरी संभावना है कि बियर के बाईपास प्रोडक्ट बुटेनॉल से कारें और मशीनें चलती नजर आएंगी। क्‍योंकि अभी ब्रूट्रोलियम नाम से कई देशों में बियर से बना बायो फ्यूल बिक रहा है। फ्रांस से लेकर न्‍यूजीलैंड तक कई देशों में बियर के कचरे से बनने वाला बायोफ्यूल ब्रूट्रोलियम भरवाकर लोग अपनी कारें भी चलाना शुरु कर चुके हैं।

कैसे बनता है बुटेनॉल

शोधकर्ताओं का कहना है कि वैसे तो सभी तरह के अल्‍कोहल पेय में इथेनॉल मौजूद होता है परंतु बियर से इसे प्राप्‍त करके वाहनों के ईंधन में बदलना काफी आसान है। वैज्ञानिकों का ये भी कहना है की भले ही अभी बियर को किसी कार को चलाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, लेकिन लैब टेस्टिंग के लिए बियर आधारित ईंधन का इस्‍तेमाल एक बेहतरीन विकल्‍प है।

2022 तक आयेगा प्रयोग में

ब्रिस्‍टल यूनीवर्सिटी की इस रिसर्च टीम का मानना है कि बुटेनॉल की लैब टेस्टिंग में अभी कुछ साल और लगेंगे, तब जाकर वे इसे बिल्कुल सही तरीके से बना पाएंगे और उसे कारों और ट्रकों में इस्‍तेमाल कर पाएंगे। दुनियाभर को हैरान करने वाली इस बात को लेकर अभी भले ही निश्‍चिंत होना कठिन है कि कारें भी बियर पीकर सड़क पर दौड़ेंगी, लेकिन भविष्‍य में इस बात की पूरी संभावना है कि बियर के बाईपास प्रोडक्ट बुटेनॉल से कारें और मशीनें चलती नजर आएंगी। क्‍योंकि अभी ब्रूट्रोलियम नाम से कई देशों में बियर से बना बायो फ्यूल बिक रहा है। फ्रांस से लेकर न्‍यूजीलैंड तक कई देशों में बियर के कचरे से बनने वाला बायोफ्यूल ब्रूट्रोलियम भरवाकर लोग अपनी कारें भी चलाना शुरु कर चुके हैं।

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