आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महिलाओं की माहवारी यानी अंग्रेजी में हम जिसे Menstrual Periods भी कहते हैं। उसे लेकर भारतीय समाज में कई तरह की अवधारणाएं हैं, लेकिन अब समाज में इसे लेकर कई सारी प्रगतिशील चर्चाएं हो रही है। बता दें कि ये कोई श्राप नहीं बल्कि महिलाओं की शारीरिक संरचना में प्राकृतिक परिवर्तन का हिस्सा है जिसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये काफी सुलझी हुई प्रक्रिया है लेकिन वहीं जब इसे धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है तो ये एक तरह से कर्मकांड से जुड़ा एक बड़ा ही अजीबों गरीब मान्यताएं लेकर जन्म लेता है।

इस मुद्दे को समाज के सामने पेश करने के लिए ऑस्ट्रेलिया की एक स्पिरिट हीलर और फॉर्मर हेयरड्रेसर ने एक अजीबों गरीब कदम उठाया जिसके बाद से वो एकाएक चर्चे में आ गई। जी हां आपको बता दें कि 26 साल की याजमीना जेद ने लड़कियों के पीरियड्स को लेकर शर्मिंदगी दूर करने के लिए एक अजीबोगरीब कदम उठाया। आज का आधुनिक समाज पुरुष तथा महिला में कोई फर्क नहीं करता। इस आधुनिक दौर में महिलाएं, पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं।
दरअसल इस लड़की ने अपने पीरियड्स के ब्लड को चेहरे पर लगाया ताकि लोग इसे किसी कलंक के तौर पर न देखा जाए और फिर इसे अपने फेसबुक प्रोफाइल पर पोस्ट कर दिया फिर क्या था तमाम तरह के कमेंट भी आने लगे। जिसमें कई यूजर्स ने इस पोस्ट के लिए लिखा की ये लड़की मानसिक तौर पर बीमार है।

लेकिन याजमीना का कहना है कि वो ये काम अपनी को बॉडी को रिकनेक्ट करने के लिए करती है। जिसे हम सामाजिक शर्मिंदगी के चलते नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि मैं ऐसा करके लोगों को दिखाना चाहती थी कि ये कोई शर्मिंदा होने वाली चीज नहीं है, बल्कि ये हमारी बॉडी का ही एक हिस्सा है। याजमीना का कहना है कि आज की मार्डन लाइफ में इसे लेकर शर्मिंदगी नहीं महसूस किया जा सकता और इससे जुड़े कई तरह के भ्रम को तवज्जो दी जाती है।
वहीं वो ये भी कहती हैं कि महिलाएं इसे सीक्रेट रखती हैं ऐसे में वो इसका ब्लड अपने चेहरे पर लगाकर महिलाओं को ये बताना चाहती हैं कि इसे चोरी-छिपे मैनेज करने की जरूरत नहीं है। वैसे इसी वजह से उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल भी किया जाने लगा। इतना ही नहीं इसके साथ ही यूजर्स ने उन्हें मानसिक रूप से बीमार बताया और मेन्टल इंस्टीट्यूशन जाने की सलाह दी।
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