ऐ जिंदगी तू ही बता…
पहले अधूरी थी मैं
या अब अधूरी हूँ मैं! 
ऐ जिंदगी अब तू ही बता..
ये कौन सा रिश्ता है जो
मेरी आँखों से रिसता है.
तुझे चाहा तो बहुत इजहार न कर सके,
कट गई उम्र किसी से प्यार न कर सके,
तूने माँगा भी तो अपनी जुदाई माँगी,
और हम थे कि तुझे इंकार न कर सके.
हैरत से न देख मेरे चेहरे की दरारें,
मैं वक़्त के हाथों में खिलौने की तरह था.
माना कि मोहब्बत की ये भी एक हकीकत है फिर भी,
जितना तुम बदले हो उतना भी नहीं बदला जाता.
एक नदिया है मजबूरी की
उस पार हो तुम इस पार हैं हम,
अब पार उतरना है मुश्किल
मुझे बेकल बेबस रहने दो.
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