पहले श्रद्धांजलि से रोका, फिर समाधि स्थल से जबरिया हटाया
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सरयू तट स्थित रामचंद्रदास परमहंस की समाधिस्थल पर बुधवार की सुबह श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे रामनगरी के संतों को प्रशासन ने रोक दिया। इससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई। हालांकि बाद में किसी तरह संत मौके पर पहुंचे और श्रद्धांजलि दी।
मगर मुख्यमंत्री के आने से एक घंटे पहले पूर्व सांसद व महंत डॉ. रामविलास वेदांती समेत रामजन्मभूमि के मुख्य अर्चक आचार्य सतेंद्र दास, वृजमोहन दास, करपात्री जी महाराज, आचार्य नारायण मिश्र आदि प्रमुख लोगों समेत सभी संतों से स्थल को पुलिस ने जबरिया खाली करा दिया। इस दौरान जमकर धक्का-मुक्की भी हुई।
समाधिस्थल पर जाने से रोके जाने को लेकर संतों में आक्रोश रहा। श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे रामजन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास प्रशासन की कार्यप्रणाली से आक्रोशित नजर आए। उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि अत्यंत दुखद है, किसी महापुरुष को श्रद्धांजलि अर्पित करने से रोकना।
रामजन्मभूमि न्यास सदस्य व पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की। कहा कि जिसके निर्देश पर संतों को रोका जा रहा है, हम घोर निंदा करते हैं। समाधि पर आने का सभी को अधिकार है। जिसने भी श्रद्धांजलि देने से रोकने का काम किया है, उसके खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए।
वहीं नारायण मिश्र ने कहा कि समाधिस्थल पर संत-धर्माचार्यों का अपमान हुआ है। मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर संतों को रोका गया, उनका अपमान किया गया। जिसकी हम कड़ी निंदा करते हैं। शिवसेना के राज्य प्रमुख ठाकुर अनिल सिंह ने भी संतों के अपमान की घटना को हिन्दू समाज को आहत करने वाला बताया।
कहा कि सीएम से मिलकर कार्यवाही की मांग करेंगे। इससे पूर्व संतों ने परमहंस रामचन्द्रदास को समाधिस्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में महंत बृजमोहन दास, म. बलरामदास, डॉ. राघवेश दास वेदान्ती, करपात्री महाराज, म. रामप्रकाश दास, जिला पंचायत सदस्य शिवकुमार सिंह, बब्लू खान, शरद पाठक बाबा आदि शामिल रहे।
हनुमानगढ़ी के पुजारी व सुरक्षाकर्मियों में हुई कहासुनी
परमहंस के समाधिस्थल पर सुबह पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचे हनुमानगढ़ी के पुजारी व सभासद रमेश दास को भी सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया। जिस पर वह भड़क उठे। करीब पांच मिनट तक सुरक्षाकर्मियों व पुजारी में कहासुनी हुई, रोकने के बाद भी रमेश दास परमहंस की समाधिस्थल तक पहुंच गए। उन्होंने किसी महापुरुष को श्रद्धांजलि देने से रोके जाने पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
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