रुपये में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया एक बार फिर 68 के स्तर पर पहुंच गया है. इसमें 40 पैसे की भारी गिरावट देखने को मिल रही है.
फिलहाल एक डॉलर के मुकाबले रुपया 68.02 के स्तर पर बना हुआ है. डॉलर में तेजी आने के लिए अमेरिका में बढ़ाई गई ब्याज दरों को माना जा रहा है. बता दें कि बुधवार को अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है.
इसके चलते डॉलर में मजबूती दिख रही है. डॉलर इंडेक्स बढ़कर 95.10 के स्तर तक पहुंच गया है. यह पिछले 7 महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है. डॉलर में आ रही मजबूती ही रुपये में कमजोरी की वजह बन रहा है. इसकी वजह से रुपये की वैल्यू पर दबाव है.
रुपये के कमजोर होने से तेल कंपनियों के लिए कच्चा तेल आयात करना महंगा साबित होगा. इससे प्रति लीटर पेट्रोल तैयार करने के लिए उनकी लागत काफी ज्यादा बढ़ जाएगी. इससे देश में एकबार फिर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ना शुरू हो सकती हैं.
पेट्रोल और डीजल के अलावा विदेशों से आयात होने वाले सामान जैसे कि मोबाइल फोन, टेलीविजन और इलेक्ट्रोनिक्स का अन्य सामान भी महंगा हो सकता है. क्योंकि इन सामान को आयात करने पर लागत बढ़ने से कंपनियां इनकी कीमतें बढ़ा सकती हैं.
रुपये में गिरावट का फायदा सिर्फ इतना मिलेगा कि भारत से विदेश भेजे जाने वाले सामान के लिए अच्छे दाम मिलेंगे. बता दें कि भारत से ज्यादातर इंजीनियरिंग गुड्स, जेम्स एंड ज्वैलरी और टेक्सटाइल समेत अन्य उत्पादों का निर्यात होता है.
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