बजट सत्र में सरकार को आईना दिखाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष ने काफी होमवर्क किया है। वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के लगातार संपर्क में हैं। इसके अलावा राहुल गांधी एनसीपी के शरद पवार, माकपा के सीताराम येचुरी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती समेत अन्य से लगातार संपर्क बनाए हैं। राहुल की कोशिश विपक्ष में एकता बनाए रखने के साथ-साथ राजनीति की धुरी बने रहने का है। वह संसद के बजट सत्र के दौरान केन्द्र सरकार को तमाम मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए पार्टी के फ्लोर प्रबंधकों के साथ लगातार मंत्रणा करने के साथ साथ समान विचारधारा वाले अन्य नेताओं के साथ मंत्रणा की करने की योजना है।
कांग्रेस में डालेंगे नई जान
कांग्रेस अध्यक्ष सरकार को घेरने की तैयारी के साथ-साथ पार्टी में नई जान फूंकने की भी तैयारी में हैं। पार्टी के भीतर संतुलित संगठनात्मक बदलाव, पार्टी को युवा बनाने, मुद्दों को लेकर लगातार सक्रिय रहने तथा आक्रामक रवैया अपनाने की योजना है। राहुल गांधी के एक करीबी का कहना है कि गुजरात चुनाव से मिले सबक को लेकर वह काफी संवेदनशील है। राहुल गांधी का मानना है कि गुजरात की जनता ने तब सत्ता पक्ष के खिलाफ अपने रुख का संकेत देना शुरू किया, जब उन्होंने खुलकर मोदी सरकार के खिलाफ बोलना शुरू किया। कांग्रेस की महिला विंग की प्रमुख सुष्मिता देव का भी यही मानना है। सुष्मिता का कहना है कि राहुल गांधी के खुलकर बोलने के बाद जनता की प्रतिक्रिया और लोगों का समर्थन दिखाई देने लगा। सुष्मिता ने चर्चा के दौरान कहा था कि देश की जनता मोदी सरकार के कामकाज से खुश नहीं है। इसलिए मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है।