यहां की हार जीत इसलिए भी खास होगी कि यदि इस क्षेत्र से भाजपा अधिक सीटें नहीं जीत सकीं तो भी यह पार्टी के लिए अच्छाभ संकेत नहीं होगा। लिहाजा यहां की जीत भाजपा के लिए नाक का सवाल बन गया है। जिसके लिए भाजपा ने अपना पूरा अमला उतार रखा है। खुद पीएम मोदी से लेकर राष्ट्री य अध्य क्ष अमित शाह यहां की सीट अपनी झोली में डालने की कोशिशों में लगे हैं। विरोधियों में कांग्रेस उपाध्याक्ष राहुल गांधी और सूबे के मुख्यअमंत्री और सपा के राष्ट्री य अध्ययक्ष अखिलेश यादव भी यहां पर रोड शो और रैलियां करने में जुटे हैं।
बनारस में विधानसभा की कुल आठ सीट हैं। इनमें पिंडारा, अजागढ़, शिवपुर, रोहनिया, बनारस उत्त र, बनारस दक्षिण, बनारस कैंट, सेवापुरी विधानसभा सीट हैं। मौजूदा विधानसभा में यहां तीन सीट भाजपा के खाते में, दो-दो सीट बीएसपी और सपा, एक सीट कांग्रेस के खाते में है। हालांकि यह आंकड़े भाजपा के लिए इतने बुरे नहीं हैं, भले ही इस बार सपा और कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में उतरे हों। भाजपा को थोड़ा खतरा यहां पर अपने तीन मौजूदा विधायकों में से दो का टिकट काटने से है। गौरतलब है कि बनारस दक्षिण से सात बार विधायक रहे श्यावमदेव राय चौधरी दादा की जगह भाजपा ने नीलकंठ तिवारी को टिकट दिया है। वहीं बनारस कैंट से ज्योात्सवना के स्थाान पर उनके बेटे सौरभ श्रीवास्तकव को टिकट दिया गया है। श्याअम देव इस क्षेत्र के कद्दावर नेता है, लिहाजा उनके टिकट कटने का कुछ नुकसान भाजपा को हो सकता है।
बनारस यूं तो भाजपा का पारपंरिक गढ़ रहा है। लेकिन इस बार बात कुछ और है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने जबरदस्तर जीत दर्ज की थी। उस वक्त उन्हों ने यहां से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 वोटों के अंतर से हराया था। नरेंद्र मोदी को यहां से कुल 5,81,022 वोट मिले थे। कांग्रेस उस वक्त यहां पर तीसरे नंबर पर रही थी। वहीं समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीटद्वार इस चुनाव में अपनी जमानत भी नहीं बचा सके थे।