दिवाली से शहर की हवा खराब होने लगी है। धूल, धुआं और धुंध से प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत और आंखों में जलन जैसी समस्या हो रही है। चिकित्सकों के मुताबिक धुंध बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है।
बरेली की हवा अब एक बार फिर से खराब हो गई है। अव्यवस्थित निर्माण कार्य और वाहनों की आवाजाही से आबोहवा में स्मॉग (धुआं, धूल और धुंध की मिलीजुली परत) फैल चुकी है। इधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भेजी जा रहे नोटिस विभागों में बेअसर हो रहे है।
शहर में प्रदूषण की वजह बनी बेतरतीब खोदाई, परियोजनाओं की धीमी रफ्तार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की गाइडलाइन का उल्लंघन है। इससे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बढ़ने से शहर में प्रदूषण का स्तर सामान्य से ज्यादा दर्ज हो रहा है। अधिकारी प्रदूषण से निजात पाने की कवायद के बजाय नोटिस भेज रहे हैं। जबकि मौसम वैज्ञानिक का कहना है कि यह प्रदूषण की परत है। तापमान में गिरावट से शहर में फैला धुआं और धूल के कण ऊपर नहीं जा पा रहे। इसी वजह से शाम करीब पांच के बाद स्ट्रीट लाइट जलाने की नौबत आ रही है।
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