विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा कि भारत 48 राष्ट्रों वाले न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप ( (एनएसजी) में प्रवेश के लिए अपनी पूरी कोशिश में है. वो एनएसजी में अपने आवेदन को लेकर पड़ोसी देशों के साथ संपर्क में है. उन्होंने बताया कि, स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में इसके लिए महत्वपूर्ण बैठक चल रही है.
उन्होंने कहा कि, एनएसजी को लेकर बैठक चल रही है. इसमें भारत की सदस्यता को लेकर विचार चल रहा है. साथ ही उन्होंने कहा, कि हम एनएसजी में शामिल सभी सदस्य देशों के साथ संपर्क में हैं. बता दें कि एनएसजी की बैठक 19 जून को शुरू हुई थी. चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर विरोध कर रहा है. चीन इस आधार पर विरोध कर रहा है, कि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किये हैं. बता दें कि चीन ने कहा था कि गैर-एनपीटी देशों को एनएसजी में शामिल करनेके संबंध में उसके रख में कोई बदलाव नहीं आया है.
एनएसजी में प्रवेश सभी सदस्यों की सहमति से
यह मुद्दा भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों में बड़ा विषय बन गया है. परमाणु व्यापार का नियंत्रण करने वाले इस प्रतिष्ठित समूह में प्रवेश के भारत के आवेदन के बाद चीन के सहयोगी देश पाकिस्तान ने भी आवेदन किया था. चीन के विरोध की वजह से समूह में भारत का प्रवेश थोड़ा मुश्किल हो गया है, क्योंकि एनएसजी में प्रवेश सहमति के आधार पर होता है.
भारत को एनएसजी से फायदा
भारत को इस समूह में शामिल हो जाने पर नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय बाजार से असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी और ईंधनों को ज्यादा आसानी से आयात कर सकेगी और अपनी घरेलू परमाणु सामग्री को सैन्य इस्तेमाल के लिए बचा सकेगी.’