31 मार्च तक अगर सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की मदद नहीं की, तो इसे दिवालिया होने से कोई नहीं रोक सकता है।
पीएनबी द्वारा जारी किए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के आधार पर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) ने करीब 1000 करोड़ रुपये का लोन दिया था। अगर पीएनबी इस पैसे को 31 मार्च तक वापस नहीं कर पाता है तो फिर मजबूरन यूबीआई को इसे दिवालिया घोषित करना पड़ेगा और पूरी रकम को एनपीए के तौर पर अकाउंट बुक्स में दिखाना होगा।
पहले से है घोटाले की मार
पीएनबी पहले ही नीरव मोदी-मेहुल चोकसी की कंपनियों द्वारा किए गए 126 अरब के महाघोटाले से जूझ रहा है। ऐसे में एक बैंक दूसरे बैंक को दिवालिया घोषित कर देता है तो बड़ी समस्या हो सकती है। हाल में एलओयू से धोखाधड़ी के मामलों का खुलासा होने के बाद रिजर्व बैंक ने इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
एक बैंकर के मुताबिक इंडस्ट्री को जल्द एलओयू का विकल्प मिलेगा। बता दें कि एलओयू के जरिए 20 से 40 बिलियन डॉलर का व्यापार होता रहा है।