जल्द ही विकासखंड स्तर पर भी कृषि मौसम परामर्श संबंधित बुलेटिन जारी किया जा सकेगा। प्रायोगिक स्तर पर देश में कुल 50 केंद्रों को इसके लिए विकसित किया जा रहा है। रुड़की, उत्तराखंड स्थित आइआइटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) भी इन केंद्रों में शामिल है। ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत फिलहाल 130 केंद्रों से जिला स्तर पर पूर्वानुमान और अलर्ट जारी किया जाता है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय मौसम विभाग की ओर से ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना का विस्तार विकासखंड स्तर पर किया जाना है। ताकि किसानों को ठीक अपने इलाके के मौसम की सटीक जानकारी मिल सके। आइआइटी रुड़की स्थित केंद्र द्वारा प्रायोगिक स्तर पर इसकी शुरुआत कर दी गई है
संस्थान केजल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग में संचालित ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के नोडल अधिकारी डॉ. आशीष पांडेय ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर हरिद्वार जिले में रुड़की, नारसन, बहादराबाद और लक्सर ब्लॉक को चुना गया है। इन विकासखंडों के लिए विशेष उपकरण स्थापित कर उस इलाके के लिए मौसम की सटीक जानकारी जुटाई जा रही है।
यहां टोडा कल्याणपुर गांव में स्वचालित मौसम वेधशाला स्थापित की है, जो नियमित रूप से डाटा उपलब्ध करा रही है। किसानों को आठ पैरामीटर पर मौसम से संबंधित यह जानकारी सप्ताह में दो बार मंगलवार व शुक्रवार को उपलब्ध कराई जाती है। इसमें अधिकतम एवं न्यूनतम तापमान, अधिकतम एवं न्यूनतम आर्द्रता, बरसात, बादल आच्छादन और हवा की गति एवं दिशा शामिल हैं। असामान्य मौसम होने पर मौसम अलर्ट जारी होता है, ताकि किसान फसलों का सही रख-रखाव और सिंचाई कर सकें।
डॉ. केके सिंह, (प्रमुख, कृषि मौसम सलाह सेवाएं अनुभाग, भारतीय मौसम विभाग, नई दिल्ली) का कहना है कि मंत्रालय ने मानसून-2018 से ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना का विकासखंड स्तर तक विस्तार किया है। यह फिलहाल प्रायोगिक चरण में है। निकट भविष्य में इसका व्यापक विस्तार संभव हो सकेगा।
किसानों के लिए टोल फ्री नंबर भी
देशभर के 550 जिलों के तीन करोड़ से अधिक किसानों को एसएमएस के माध्यम से जिला स्तर पर मौसम की जानकारी नियमित रूप से भेजी जा रही है। जल्द ही एप बेस्ड सेवा भी लॉंच की जा रही है। यह राज्य स्तर पर होगी। हरियाणा में एप विकसित किया जा चुका है। इसके माध्यम से केवल मौसम ही नहीं बल्कि कृषि सलाह भी मुहैया होगी।