जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में पिछले 5 महीने में सेक्सुअल हैरासमेंट के 12 मामले दर्ज किए गए हैं. आरटीआई से माध्यम से यह जानकारी सामने आई है. सेक्सुअल हैरासमेंट के 5 महीने में 12 मामले सामने आना बड़ी बात है. सबसे ज्यादा पुरुष फैकल्टी के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब यूनिवर्सिटी सेक्सुअल हैरासमेंट के मामलों को ठीक से नहीं सुलझाने के लिए आलोचना का सामना कर रही है.बड़ी खबर: JNU में 5 महीने में दर्ज हुए सेक्सुअल हैरासमेंट के 12 मामलेहमारे सहयोगी डीएनए की ओर से दायर की गई आरटीआई से जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार हाल ही में जेएनयू में नई इंटरनल कंप्लेन कमिटी (आईसीसी) बनी है जो सेक्सुअल हैरासमेंट केस को देखती है. कमिटी को 18 सितंबर 2017 से 15 फरवरी 2018 के बीच सेक्सुअल हैरासमेंट की 12 शिकायतें मिलीं. वहीं मार्च महीने में 2 शिकायतें मिली हैं. इनमें से एक स्कूल ऑफ लाइफ साइंस और दूसरी स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडी की है.

प्रोफेसर के खिलाफ हैरासमेंट हरासमेंट का आरोप लगाने वाली छात्रा ने कहा था कि आपको लगता है कि आप देश या जेएनयू के बेस्ट गाइड हैं. सभी आपके अंडर पीएचडी करना चाहते हैं. मुझे भी यही लगता था मगर यह गलत था. बिना पढ़े लिखे लोग भी आपसे ज्यादा तमीजदार हैं. मैं आपकी लैब छोड़ रही हूं क्योंकि आप चरित्रहीन हैं, आपको लड़कियों से बात करना तक नहीं आता.

आपका जो पैटर्न है उस हिसाब से हर लड़की यही महसूस करती हैं कि आप लाइफ साइंसेज के बाबा की तरह हैं. मैं अकेली लड़की नहीं जो आपके इस नेचर में फंसी हूं. ऐसे कई मामले हैं जिसके बाद मुझे यह कदम उठाना पड़ रहा है. मैं प्रार्थना करती हूं कि आपकी बेटियां भी ऐसी स्थिति में फंसे, ताकि आपको दर्द महसूस हो.

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक शिक्षा सत्र 2013-14 में जेएनयू में सेक्सुअल हैरासमेंट के 25, 2014-15 में 35 और 2015-16 में 42 मामले सामने आए. 15 मार्च को स्कूल ऑफ लाइफ साइंस की एक स्टूडेंट ने अपने सुपरवाइजर पर हैरासमेंट का आरोप लगाया था. इसके बाद इसी स्कूल की 8 और स्टूडेंट्स ने प्रोफेसर के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कराई थी.

छात्रों के प्रदर्शन के बाद टीचर को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन कुछ घंटे बाद ही उन्हें जमानत मिल गई थी. इस घटना के एक हफ्ते बाद ही जेएनयू में सेक्सुअल हैरासमेंट का एक और मामला सामने आया है. इन मामलों को लेकर आईसीसी के अधिकारी से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने किसी तरह का बयान देने से इनकार कर दिया.