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गार्ड ऑफ ऑनर लेने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए सेनाध्यक्ष ने अपनी प्राथमिकताएं गिनाई और साफ कर दिया की भारतीय सेना और भारतवर्ष शांति प्रिय देश है जो अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ भी शांति चाहता है लेकिन भारत के इस रवैये को कमजोरी न समझा जाए.
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इसके साथ ही कई दिनों से चले आ रहे वरीयता के विवाद पर भी सेनाध्यक्ष ने विराम लगाने की कोशिश की. जनरल रावत ने कहा कि उन्हें सेनाध्यक्ष बनाना सरकार का फैसला है और वरीयता क्रम में बड़े रहे दोनों ही ऑफिसर उनसे कंधे से कंधा मिलाकर काम कर चुके है और आगे भी सेना के हित में काम करते रहेंगे. नए सेना प्रमुख ने कहा कि सेना की दूरदर्शिता और प्राथमिकताओं में कोई बदलाव नही होगा.
इंफ्रेट्री से आए जनरल रावत ने कहा कि उनकी नजर में सेना का हर जवान बराबर है चाहे वो किसी भी पलटन का हो. जनरल रावत ने ऐसे समय बड़ी जिम्मेदारी है जब सरहद पार चुनौतियां कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही है बावजूद इसके नए सेना प्रमुख से काफी उम्मीदें है क्योंकि उन्हें जम्मू कश्मीर से लेकर चीन सीमा में काम करने का काफी तर्जुबा हैं.
इससे पहले सेना की पूर्वी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी ने साफ कर दिया है कि वो सेना प्रमुख नहीं बनाए जाने से नाराज नहीं हैं और इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. बल्कि नए साल की बधाई देते हुए उन्होनें नए सेनाध्यक्ष बिपिन रावत को पूरा समर्थन देने का ऐलान किया. रक्षा मंत्री ने जनरल बख्शी से बात कर उन्हें इस्तीफा न देने के लिए कहा था.
इसी का नतीजा है कि जनरल बख्शी ने बयान जारी करके कहा कि वो इस्तीफा नहीं देंगे. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 30 दिसंबर की शाम को पुणे में सेना की दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टनेंट जनरल एमए हेरिज से मुलाकात कर उनकी नाराजगी को दूर किया.
जनरल बिपिन रावत ने साल 2016 के आखिरी दिन देश के 27वें सेना प्रमुख का पद संभाला. जनरल दलबीर सिंह ने उन्हें सेना प्रमुख की कमान दी.
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