आने वाले मंगलवार यानि 22 अगस्त को देश भर के सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। हालांकि प्राइवेट बैंकों में इस हड़ताल का कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) के आह्वान पर देश के 10 लाख बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी 22 अगस्त को हड़ताल पर रहेंगे। हड़ताल में उनके तीन मुद्दों पर विरोध और छह मांगे शामिल हैं। शिक्षामित्रों के प्रदर्शन में अन्ना हजारे ने दिया बड़ा बयान, कहा- अगर न्याय न मिला तो देशव्यापी का होगा आंदोलन.
इन बैंकों के अधिकारी-कर्मचारी रहेंगे हड़ताल पर
एसबीआई, पीएनबी, बैंक ऑफ बडौदा, इलाहाबाद बैंक, यूनियन बैंक, यूको आदि बैंकों के अधिकारी- कर्मचारी यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले 22 अगस्त को हड़ताल पर रहेंगे। यूनाईटेड फोरम की मांग है कि सरकार बैंकिंग सुधारों को वापस ले और बैंकों में पर्याप्त भर्ती शुरू करे। साथ ही एनपीए वसूली के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं। अगर सरकार न चेती तो 15 सितंबर को दिल्ली कूच होगा।
हड़ताल पर जाने का ये है प्रमुख कारण
बैंक कर्मचारियों का कहना है कि सरकार सुधारों के नाम पर भारतीय बैंकिंग क्षेत्र का निजीकरण और एकीकरण करना चाहती है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार बैंक बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) का गठन करके सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों को एक बैंकिंग निवेश कंपनी के तहत लाने का काम करने जा रही है, जिसका कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर के 49 फीसदी से कम करने जा रही है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 6.83 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया हैं, जो प्रमुख चिंता का विषय है। बैंक डूबे कर्ज की वसूली का प्रयास करने के बजाय उसे बैड डेट खाते में डाला जा रहा है।