साध्वी रेप केस में 20 साल की सजा के खिलाफ राम रहीम ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जो स्वीकार कर ली गई है और सीबीआई को नोटिस दे दिया गया है। राम रहीम ने याचिका दाखिल करते हुए सजा रद्द करने की मांग की है।#बड़ा खुलासा: राम रहीम को सजा के 40 दिन बाद फिर हनीप्रीत के बारे में खुला ये बड़ा राज..
डेरामुखी की अपील रजिस्ट्री से क्लीयर हो गई थी और इस पर सोमवार को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान डेरा प्रमुख के वकील की तरफ से जुर्माने की राशि पर रोक की अंतरिम राहत देने की भी मांग की गई। कोर्ट ने इस मांग को अस्वीकार करते हुए जुर्माने व मुआवजे की 30 लाख की राशि सीबीआई कोर्ट में जमा करवाने को कहा है।
इसके अलावा यौन शोषण का शिकार उन दो साध्वियों ने भी हाईकोर्ट में अपील दायर की थी कि डेरा प्रमुख की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील किया जाए। इसे भी हाईकोर्ट ने एडमिट करते हुए सीबीआइ को नोटिस जारी किया है।
पीड़िता के बयान ही छह वर्षों के बाद रिकॉर्ड किए गए। सीबीआई का कहना था कि वर्ष 1999 में यौन शोषण हुआ था, लेकिन बयान वर्ष 2005 में दर्ज किए गए। जब सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की, तब कोई शिकायतकर्ता ही नहीं था। डेरा मुखी की अपील में सवाल उठाया गया है कि सीबीआई का यह कहना की पीड़िताओं पर कोई दबाव नहीं था गलत है, क्योंकि दोनों पीड़िता सीबीआई के संरक्षण में थीं। ऐसे में प्रॉसिक्यूशन का उन पर दबाव था। 30 जुलाई 2007 तक बिना किसी शिकायत के जांच की जाती रही और पूरी की गई।
राम रहीम का कहना है कि उसके पक्ष के साक्ष्य और गवाहों पर सीबीआई अदालत ने गौर ही नहीं किया। यहां तक कि सीबीआई ने डेरामुखी के मेडिकल एग्जामिनेशन तक की जरूरत नहीं समझी। इसलिए राम रहीम के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, वे सही भी हो सकते हैं या नहीं लिहाजा इन सभी आधारों को लेकर डेरा मुखी ने सजा को रद्द कर उसके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को ख़ारिज किये जाने की हाईकोर्ट से मांग की है।