चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर पर भारत के रुख के आगे चीन झुकता नजर आ रहा है. चीन ने परियोजना का नाम बदलने पर भी सहमति जताई है. चीन से साफ तौर पर कहा कि उसका भारत-पाकिस्तान विवाद में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है.
ये भी पढ़े: भारत के हित में अब मैक्रों की पॉलिसी, मोदी जी ने जीत की बधाई दी
भारत में चीन के राजदूत लुओ झाओहुई ने कहा कि चीन भारत के हितों को ध्यान में रखता है. साथ ही पाकिस्तान से उसके विवाद का हिस्सा बनने का उसका कोई इरादा नहीं है. इस दौरान चीनी राजदूत ने साफ किया कि पीओके से गुजरने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को लेकर चीन भारत के पक्ष में है. यहां तक कि चीन कॉरिडोर का नाम बदलने की भी सोच सकता है.
बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. पीओके के नियंत्रण को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद लंबा है. पीओके और वहां से गुजरने वाले आर्थिक कॉरिडोर को लेकर भारत लगातार अपनी असहमति जताता रहा है.
साथ ही चीन के 46 अरब डॉलर की लागत वाले वन बेल्ट वन रोड का भी भारत कड़ा विरोध करता रहा है. यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जा रहा है. ऐसे में सीपीईसी को लेकर चीन का ये रुख भारत के नजरिए से सकारात्मक माना जा रहा है.
भारत-चीन के चार सूत्री प्रस्ताव
भारत से रिश्तों में सुधार के लिए चीन ने चार सूत्री पहल का प्रस्ताव किया है. जिसमें उसके वन बेल्ट, वन रोड परियोजना को भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी से मिलाने और मुक्त व्यापार समझौते पर फिर से बातचीत करना शामिल है.
प्रस्ताव को चीनी राजदूत लुओ झाओहुई ने आगे बढ़ाया है. इसमें चीन-भारत ट्रीटी ऑफ गुड नेबरलाइनेस एंड फ्रेंडली को-ऑपरेशन पर बातचीत शुरू करना और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का जल्दी हल तलाशने के लिए प्राथमिकताएं तय करना शामिल है.
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features