राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान को धोखेबाज करार देने के अगले ही दिन अमेरिका से पाक को मिलने वाली 1,624 करोड़ रुपये की सैन्य सहायता पर रोक को भारत अपनी बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देख रहा है। उड़ी आतंकी हमले के बाद से ही पाक को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की भारत की मुहिम को अब तक की सबसे बड़ी सफलता हाथ लगी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि निश्चित रूप से अमेरिकी रुख से बिलबिलाया पाकिस्तान अब चीन की शरण में जाएगा। इसी से निपटने के लिए भारत ने चीनी विशेषज्ञ विजय केशव गोखले को नया विदेश सचिव बनाने का फैसला किया है।
वैश्विक मंच पर भारत ने पाक को कई झटके दिए हैं। सार्क देशों में उसे अलग-थलग किया तो ब्रिक्स घोषणापत्र में चीन के विरोध के बावजूद आतंकवाद के सवाल पर पाक को खरी खोटी सुनवाई। पूर्व राजदूत जी पार्थसारथी के अनुसार, अमेरिका का रुख कई दृष्टि से भारत के लिए अच्छी खबर है।
पहले अमेरिका पाकिस्तान को महज चेतावनी देता था। यह पहली बार है जब पाक को चेतावनी के साथ-साथ बड़ी सैन्य मदद से भी हाथ धोना पड़ा। भारत हमेशा से कहता रहा है कि पाक अमेरिकी मदद का इस्तेमाल उसके खिलाफ आतंकवाद की आग भड़काने के लिए करता है। अब अमेरिका ने भारत के इस रुख पर मुहर लगा दी है।
भारत को पता था कि अमेरिका की दुत्कार के बाद पाक-चीन की दोस्ती और मजबूत होगी। अमेरिका के सख्त कदम के बाद ऐसा हुआ भी है। अब भारत की कोशिश आतंकवाद के सवाल पर चीन पर दबाव बनाने की होगी। चीन में राजदूत की भूमिका निभा चुके नए विदेश सचिव गोखले का अनुभव इस मामले में बेहद काम आएगा। वैसे भी ब्रिक्स सम्मेलन में भारत ने अपना कूटनीतिक कौशल दिखाते हुए चीन के न चाहने के बावजूद पाक की लानत मलामत की थी।
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