नई दिल्ली। नवनियुक्त सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए की गई एक कार्रवाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वक्त में भी जरूरत पड़ने पर ऐसी कार्रवाई की जाती रहेंगी। बिपिन रावत ने यह बातें एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में कहीं।
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आगे उन्होंने कहा कि मेरी पहली प्राथमिकता भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाना और हर जवान को यह महसूस कराना है कि वे हमारी ताकत हैं। दूसरी प्राथमिकता तकनीकी रूप से उपकरणों और हथियारों को आधुनिक बनााना ताकि जवान और बेहतर तरीके से वे हमारी सीमा की रक्षा कर सकें।
सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि हम युद्ध के लिए हमेशा तैयार हैं, यह तो हमारा काम है लेकिन इस तरह की चीजों से सीमावर्ती इलाके बुरी तरह प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि पीएम ने भी यही कहा था कि जो आने वाले युद्ध होंगे, इंटेन्स और छोटे होंगे। इस के लिए हम तैयार हैं। सतर्क रहना जरूरी है।
अगर बॉर्डर पार बैठे आतंकी लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर स्थिति बिगाड़ने की कोशिश करेंगे तो ऐसी कार्रवाई वक्त-वक्त पर होती रहेंगी। रावत ने कहा कि उन्हें (सेना) को आतंकियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने का पूरा हक है। बिपिन रावत ने सर्जिकल स्ट्राइक के सफल ऑपरेशन के लिए दलबीर सिंह सुहाग को श्रेय दिया।
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जनरल रावत ने देश की सेना के 27वें प्रमुख के रूप में शनिवार (31 दिसंबर, 2016) को पदभार संभाला था। गौरतलब है कि पद भार संभालते ही सेना प्रमुख ने कहा था कि सेना की भूमिका सीमा पर शांति बनाए रखने की है लेकिन वह ‘‘जरूरत पड़ने पर अपनी ताकत का इस्तेमाल करने से नहीं’’ चूकेगी।
इससे पहले उनको आर्मी चीफ बनाने को लेकर काफी विवाद भी हुआ था। दरअसल, सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को नया थलसेनाध्यक्ष चुना था। इसके लिए सीनियरिटी के आधार पर चीफ बनाने की प्रथा को 1983 के बाद पहली बार नजरअंदाज किया गया था। लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को चीफ चुने जाने के लिए कमांड चीफ लेफटिनेंट प्रवीण बक्शी और दक्षिणी कमान के आर्मी चीफ लेफटिनेंट पीएम हारिज को नजरअंदाज किया गया था। इसपर विवाद हुआ था। लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग देकर यह भी कहा था कि मोदी किसी मुस्लिम को चीफ नहीं बनाना चाहते थे।