चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आप को ताकतवर दिखाने की कोशिश में लगा है, साथ में उसकी रणनीति है कि उसके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भारत को लगातार घेरा जाए जिससे उसकी राह में कोई दिक्कत न आए, लेकिन भारत ने इसका काट खोज लिया है और उसकी योजना पर पानी फेरने में जुट गया है.
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भारतीय विशेषज्ञ की ओर से दावा किया गया है कि बेल्ट एंड रोड एनीसिएटिव (बीआरआई) के जरिए चीन गरीब और जरुरतमंद देशों में निवेश कर वहां अपना आर्थिक साम्राज्यवाद फैला रहा है. हालांकि बीआरआई में शामिल कुछ देशों ने इसका खंडन जरूर किया है.
भारत की ओर से चीन की इस कोशिश को क्रेडटर इम्परीलिज्म (लेनदार साम्राज्यवाद) कहा जा रहा है, जिससे जरिए किसी भी तरह का खून-खराबा किए बगैर उन देशों में अपना आधिपत्य स्थापित किया जा सकता है.
चीन की ओबीआर योजना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से लोकप्रिय होती जा रही है, ऐसे में अब भारत की रणनीति है कि वह वैश्विक मीडिया को चीन की इस अघोषित धमकी के बारे में जागरुक करे.
भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रह्म चेलानी ने पिछले साल के अंत में चीन की बीआरआई के जवाब में चीन के क्रेडटर इम्परीलिज्म का जिक्र किया था, जिसके जरिए भारत दुनिया के छोटे और गरीब देशों में चीन की आर्थिक साम्राज्यवाद का खौफ पैदा कर उन्हें सजग कर रहा है.
उन्होंने अपने एक लेख में लिखा था कि क्रेडटर इम्परीलिज्म की राह पर चलते हुए चीन कई देशों में भारी निवेश इस मकसद से कर रहा है कि ताकि कर्ज हासिल करने के एवज में उसे वहां के घरेलू संशाधनों के इस्तेमाल करने का मौका मिल जाए.
क्रेडटर इम्परीलिज्म की बात पर चीन में खास प्रतिक्रिया देखी जा रही है. चीन की सोशल मीडिया में इस आरोप को लेकर कहा जा रहा है कि बीआरआई के खिलाफ ऐसे आरोप लगना कोई नई बात नहीं है. जिसको इससे जुड़ने से फायदा होगा वही इससे जुड़ रहा है.
चेलानी ने इसके लिए श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह का जिक्र किया जिसके विकास के लिए स्थानीय सरकार ने खुद को कर्ज के तहत दबा लिया है और अपनी संप्रभुता खो दी.
हालांकि चीन की ओर से बीआरआई को लेकर लगातार सफाई दी जा रही है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी एक कार्यक्रम में कहा कि यह योजना पूर्ण रुप से पारदर्शी है और इसमें नियमों का पालन किया गया है. योजना में समान भागीदारी है और मुनाफा भी साझा किया जाएगा.
चीनी विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जिनके पास कोई दुर्भावना नहीं है और दोहरी मानसिकता वाले नहीं हैं, उन्हें यह चीन की धमकी नहीं बल्कि एक सुनहरा अवसर लग रहा है.