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मध्यप्रदेश के ग्वालियर में गुरुवार को एक रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आयोजित इस कॉन्क्लेव में देश-विदेश के प्रमुख उद्योगपति शामिल होंगे।  प्रदेश में अगले साल होने वाली जीआईएस के पहले रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। कॉन्क्लेव काआयोजन ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में होगा। इसमें  मुख्यमंत्री डॉ. यादव, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य सरकार के मंत्री और देश-विदेश के प्रतिष्ठित उद्योगपति एवं निवेशक शामिल होंगे।
 
ग्वालियर में हो रहे इस कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य यहां के सांस्कृतिक और औद्योगिक धरोहर के साथ निवेश के नए अवसरों को उजागर करना है। इस आयोजन के माध्यम से देश-विदेश के उद्योगपति इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे, जिससे न केवल प्रदेश के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 40 से ज्यादा सेक्टर की प्रदर्शन आयोजित की जाएगी। इसमें उद्योगपतियों से वन टू वन चर्चा भी आयोजित होगी। जानकारी के अनुसार इस कॉन्क्लेव में 7 देशों के ट्रेड कमिश्नरों ने अपनी उपस्थिति की सहमति दी है।  इसमें सात देशों के निवेशक शामिल होंगे। जिसमें नीदरलैंड, जाम्बिया, कनाडा, कोस्टारिका, ताइवान, टोंगो और घाना शामिल है।  इसके अलावा, अडानी समूह के करन अडानी और एक्सेंचर जैसी विश्वविख्यात कंपनियों के सीईओ सहित कई प्रमुख उद्योगपति और निवेशक भी इस कार्यक्रम में भाग लेने आ रहे हैं।
 
ग्वालियर के जीआई टैग कालीन है विशेष
हस्तशिल्प उत्पाद में ग्वालियर का कारपेट (Carpet of Gwalior) विशेष स्थान रखते हैं। ग्वालियर का कारपेट (Carpet of Gwalior) 175वां जीआई टैग मिला है, जिससे इसकी पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी बनी है। इस वजह से कालीन इंडस्ट्री का तेजी से विकास हुआ है। इसका बड़ी संख्या में विदेशों में निर्यात किया जा रहा है।
ग्वालियर के सेंड स्टोन की देश-विदेश में है भारी मांग
ग्वालियर में प्राकृतिक सम्पदाएँ भी प्रचुर मात्रा में है, जिसमें सेंड स्टोन एक है। यहाँ के सेंड स्टोन की विदेशों में बहुत मांग है। ग्वालियर स्थित स्टोन पार्क में लगभग 50 इकाइयों के द्वारा हर साल तकरीबन 68 हजार टन पत्थर दुनिया भर के 100 देशों में भेजा जाता है। लगभग हर साल 68 हजार टन सेंड स्टोन दुनिया में सौ से भी अधिक देशों में निर्यात किया जाता है। सेंड स्टोन का लगभग 800 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार है।
 
यह पत्थर न सिर्फ देखने में बेहद आकर्षक है, बल्कि यह विशेष भी है कि यह पत्थर सर्दियों में न तो अधिक ठंडा होता है और न ही गर्मियों में अधिक गर्म। दुनिया में बहुत ही कम स्थान हैं जहां इस तरह का पत्थर पाया जाता है। सबसे बड़ी बात इस पत्थर में फिसलन बेहद कम होती है, जिसके चलते इसका प्रयोग अधिकांश सीढ़ियों व विदेशों में बन रहे स्विमिंग पूल में किया जाता है, वर्तमान में लोग इसका प्रयोग अपने फार्म हाउस या घर के गार्डन में बने वाकिंग एरिया के लिए भी कर रहे हैं। इसके अलावा छत के तापमान को सामान्य रखने के लिए भी इस पत्थर को लगाया जा रहा है।
										
									
								
								
								
								
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