पुणे हिंसा मामले में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी पर पुलिस ने हिंसा भड़काने का आरोप लगाते हुए उन पर एफआीआर दर्ज की थी। अब जिग्नेश ने इस मामले में खुल मीडिया से बात की है। गुजरात विधायक ने इस दौरा भाजपा, संघ और पीएम को अपने निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि अपने भाषण के दौरान संभाजी के बारे में कुछ बोला ही नहीं है। मुझे बेवजह टार्गेट करने की कोशिश की जा रही है। जिग्नेश ने चेतावनी देते हुए कहा कि मझे टार्गेट करने से मामला और बिगड़ सकता है। अपने उपर लगे आरोपों को लेकर कहा कि बौखलाहट में मेरे खिलाफ केस दर्ज किया गया। अपने बयान में जिग्नेश ने आगे कहा कि, मैं हिंसा वाली जगह पर नहीं गया ही नहीं था। मेरे भाषण में कुछ भी भड़काउ नहीं।
बता दें, भड़काऊ भाषण देने के लिए गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी के ऊपर एफआइआर दर्ज किया गया है। उसके बाद मेवाणी ने प्रेस कांफ्रेंस करके ये बातें कहीं है।
पीएम पर साधा निशाना
पीएम बताएं कि दलितों का अधिकार है या नहीं। भाजपा की ओर से मुझे डराने की कोशिश की जा रही है। मैं जानना चाहता हूं कि महाराष्ट्र हिंसा पर पीएम मोदी अब तक खामोश क्यों हैं। जिग्नेश ने पीएम मोदी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि खुद को अंबेडकर भक्त बताने वाले मोदी कब जुबान खोलेंगे। जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि मैं जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि हूं। 9 जनवरी को दिल्ली में युवा हुंकार रैली करेंगे। संघ परिवार और भाजपा के सदस्य मुझे टार्गेट करने और मेरी छवि बिगाड़ने के लिए बचकानी हरकतें कर रहे हैं।
गुजरात चुनाव का भी किया जिक्र
यह सब भाजपा की बौखलाहट है और अब संघ और भाजपा को 2019 में मुझसे खतरा दिख रहा। अब मामला बिगड़ सकता है। गुजरात में उनका घमंड पहले ही टूट चुका है। 150 सीटों की भाजपा की इच्छा हमने 99 सीटों पर रोक कर रख दी। 2019 में आरएसएस और भाजपा को मुझसे खतरा दिखा रहा है। इसलिए मुझे निशाने पर लिया गया है। यह गुजरात चुनाव परिणामों के बाद का असर है।
किया था धारा-144 का उल्लंघन
गुरुवार को मुंबई के भाईदास हॉल में छात्र भारती नाम के संगठन ने जिग्नेश और उमर को कार्यक्रम में बुलाया था। छात्र भारती के उपाध्यक्ष सागर भालेराव ने बताया कि उन्होंने भाईदास हॉल को अपने संगठन के ऑल इंडिया समिट के लिए बुक किया था। लेकिन पुलिस अब इस कार्यक्रम में किसी को जाने नहीं दे रही है। भालेराव का कहना है कि मुंबई पुलिस ने पिछले दो तीन दिनों की हिंसा का हवाला देकर कार्यक्रम रद कर दिया है। इधर जब पुलिस ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे लोगों को अंदर जाने से रोका तो छात्र नारेबाजी करने लगे और जबरन अंदर जाने की कोशिश कर लगे। इस दौरान पुलिस और छात्रों में झड़प हुई। पुलिस ने एहतियातन कई लोगों को हिरासत में लिया है। मुंबई पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने धारा-144 का उल्लंघन किया था इसलिए इन्हें हिरासत में लिया गया है।
जातीय हिंसा को भड़काने का था आरोप
बता दें कि महाराष्ट्र में जातीय हिंसा को भड़काने के आरोप में पुणे पुलिस ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी और जेएनयू छात्र उमर खालिद के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर लिया है। पुलिस ने इनपर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया है। इधर महाराष्ट्र के कोरेगांव हिंसा में अब तक 12 एफआइआर दर्ज की गई है। मुंबई पुलिस ने बताया कि महाराष्ट्र बंद के दौरान कुल 16 प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस दौरान 300 लोगों को हिरासत में लिया गया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शहरों में फैली हिंसा के जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।
भीमा-कोरेगांव की हिंसा का क्या था कारण
बता दें कि एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाया जा रहा था। तभी दलितों और मराठा संगठन के लोगों के बीच हिंसा भड़क गई और एक व्यक्ति की मौत के बाद इस हिंसा की आग तेजी से पूरे महाराष्ट्र में फैल गई। गौरतलब है कि कोरेगांव-भीमा की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को ब्रिटिश इंडिया कंपनी और पेशवा समुदाय के साथ लड़ी गई थी। इसमें मराठाओं ने आखिरकार ब्रिटिश सेना से डरकर इस लड़ाई से अपने कदम पीछे कर लिए थे।
अंग्रेजों की सेना में पुणे के महार दलित सैनिक शामिल थे, जिसके कारण उनकी जीत हुई। और इसके बाद से ही दलित कार्यकर्ता इस युद्ध को अपने इतिहास में वीर प्रकरण के रूप में देखते हैं और हर साल 1 जनवरी को इसका जश्न मनाते हैं।