अपनी ड्रेस और काम करने के तरीके को लेकर ममता कुलकर्णी कहती हैं। आपका अपियरेंस आपकी पोजिशन को अन्य पुरुष स्टेशन मैनेजरों के बराबर स्थापित करता है। जब आप पूरी तरीके से ड्रेसअप होते हो तो लोग आपको ज्यादा गंभीरता से लेते हैं।
ममता ने 1992 में रेलवे ज्वाइन किया था तो मुंबई डिविजन में वह पहली महिला अधिकारी थीं। शायद इस रिकॉर्ड की वजह से ही उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई है। वह कहती हैं कि मेरी तो बेटियां ही मुझे माटुंगा कहकर बुलाने लगी हैं। अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इस स्टेशन पर 41 महिला स्टाफ हैं जिनकी उम्र 23 से 53 वर्ष हैं, इन सबकी अगुवाई ममता कुलकर्णी कर रही हैं।
माटुंगा की चीफ टिकट इंस्पेक्टर अस्मिता मांजरेकर बताती हैं कि हर रोज प्लेटफॉर्म की तरफ जा रही पैसेंजर हमें फूलों के गुलदस्ते भेंट कर करते हैं। हम सब एक दूसरे के काम के प्रति संजीदा हैं और साथ में काम करने में विश्वास करते हैं। वह बताती हैं कि हाल ही एक लड़की हमें प्लेटफॉर्म पर मिली जो बेहद सहमी हुई थी, वह अपने घर से भागी हुई थी हम उसे वापस घर से जुड़ने में मदद की। वह कहती हैं कि बतौर महिला हम महिलाओं की स्थिति को बेहतरी से समझ सकते हैं।