न्यापालिका का अपने फायदे के लिए पड़ताल के लिए प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यह टिप्पणी हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अर्जी खारिज करते हुए की है। केजरीवाल ने अर्जी दायर कर वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल के दौरान 1999 से 2014 की अवधि में डीडीसीए की बैठकों के मिनट तलब करने की मांग की थी।
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हाईकोर्ट के संयुक्त रजिस्ट्रार पंकज गुप्ता ने केजरीवाल की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने जो रिकार्ड तलब करने का आग्रह किया है उसके आधार पर आरोप नहीं लगाए थे। इसलिए उन्हें अपनी अर्जी के मुद्दों से बाहर जाकर बहस की अनुमति नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात पर भी गौर किया कि केजरीवाल ने बैठकों के मिनट के अध्ययन का भी दावा नहीं किया है। इससे साफ है कि इन मिनटों की जानकारी केजरीवाल को भी नहीं थी।
जब उन्हें जानकारी ही नहीं थी तो वह डीडीसीए में अनियमितता का आरोप किस आधार पर लगा सकते हैं। डीडीसीए मानहानि विवाद मामले में केजरीवाल ने अर्जी दायर कर डीडीसीए की बैठकों का रिकार्ड तलब करने की मांग की थी।
जेटली ने केजरीवाल समेत आप के छह नेताओं पर मानहानि के मामले में 10 करोड़ रुपये का दावा ठोका था। जेटली के मुताबिक केजरीवाल व अन्य आरोपियों ने उन पर डीडीसीए का अध्यक्ष रहते हुए अनियमितता के झूठे आरोप लगाए थे।