लखनऊ: योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते कई वर्ष में सूबे की बेची गई सरकारी चीनी मिलों के घोटाले को लेकर अहम फैसला किया है। सरकार ने तय किया है कि 2010-11 में प्रदेश की 21 चीनी मिलों को बेचने में 1100 करोड़ रुपए के घाटे की गहन जांच होगी। माना जा रहा है कि जरूरत पड़ी तो सरकार इसकी सीबीआई जांच कराने की भी संस्तुति कर सकती है।

मुख्यमंत्री ने कल अपने सरकारी कार्यालय शास्त्री भवन में गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग के प्रस्तुतीकरण के दौरान यह फैसला लिया। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सरकार की संपत्तियों को औने-पौने दाम पर बेचने का कोई अधिकार नहीं है। अब तो जनता की संपत्ति का दुरुपयोग कतई नहीं होने दिया जाएगा।
गन्ना समिति स्तर पर हर माह समस्याओं के निस्तारण की पहल होगी। इसके लिए गन्ना विकास विभाग द्वारा एक टोल फ्री नंबर जारी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर चीनी मिल प्रतिवर्ष एक गांव को आदर्श गांव के रूप में विकसित करें। इस तरह 116 चीनी मिलों के लिए पांच वर्ष में उन्होंने 580 गांवों के आदर्श गांव बनाने का लक्ष्य दिया। चीनी मिल यार्डों में स्वच्छ पेयजल, बैठने को शेड और ग्रामीण क्षेत्रों में खड़ंजा निर्माण की हिदायत दी। दो वर्षों में बने संपर्क मार्गों के भौतिक सत्यापन के भी निर्देश दिए। 23 तक भुगतान नहीं तो मिल मालिकों पर होगा मुकदमा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पेराई सत्र 2016-17 में किसानों के अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान के लिए 23 अप्रैल अंतिम तारीख तय की है। इस अवधि तक भुगतान न होने पर मिल मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री को बताया गया कि निजी क्षेत्र की पांच चीनी मिलों पर 162.63 करोड़ रुपए का भुगतान अवशेष है। उन्होंने बंद पड़ी सहकारी चीनी मिलो को वित्तीय वर्ष 2018519 में चालू कराने के लिए आवश्यक प्रक्रिया अपनाने को कहा है। मुख्यमंत्री ने गन्ना मंत्री को अवशेष मूल्य के भुगतान के लिए संबंधित मिल मालिकों की बैठक बुलाने के निर्देश दिए।
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