भारत का गोल्ड आयात बीचे वर्ष की तुलना में मार्च में घटकर आधा रह गया है। यह घटकर 52.5 टन के स्तर पर आ गया है। स्थानीय कीमतों के 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गोल्ड उपभोक्ता देश में मांग में कमी देखने को मिली है। यह जानकारी जीएफएमएस और बैंक डीलर्स के प्रोविजनल डेटा के पता चला है।
भारत की ओर से खरीद में कमी से वैश्विक कीमतों पर असर देखने को मिल सकता है, जो कि दिसंबर के मध्य के दबाव से आठ फीसद ऊपर है। जनवरी के अंत में सोने की खरीद 17 महीने के उच्चतम स्तर पर थी। कम सोने का आयात दक्षिण एशियाई देशों को व्यापार घाटा कम करने में मदद करेगा जो कि फरवरी में पांच महीने के निम्नतम स्तर पर आ गया था।
थॉमसन रॉयटर्स के एक विभाग जीएफएमएस के वरिष्ठ विश्लेषक सुधीश नांबियथ ने कहा, “भारत के कुल सोने की मांग में से दो तिहाई हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र का होता है जहां पर ज्वैलरी को जमा पूंजी के तौर पर रखा जाता है। किसानों को उनकी खरीफ फसल पर कम रिटर्न मिल रहा है। इसका कारण सामान्य से कम मॉनसून बारिश है।”
विदेशी बाजार में बढ़त मिलने और रुपये में कमजोरी से स्थानीय सोने की कीमतें मार्च महीने में 16 महीने के शीर्ष स्तर पर पहुंच गईं थी। भारत ने बीते वर्ष मार्च में 103.7 टन सोने का आयात किया था। जनवरी से मार्च तिमाही में सोने का आयात बीते वर्ष की तुलना में 32 फीसद तक गिरकर 163.1 टन पर आ गया। यह जानकारी जीएफएमएस के डेटा के अनुसार है।
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