शिव-पार्वती के विवाह की गवाह अखंड ज्योति आज भी निरंतर जल रही है। जिसके दर्शन करने के लिए यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
इस स्थान का नाम है त्रियुगीनारायण। यह उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में है। मंदिर में एक ज्योति हर समय जलती रहती है। इसे अखंड ज्योति कहते हैं। कहते हैं कि यह उसी समय से जलती आ रही है जब शिवजी और पार्वती के फेरे हुए। श्रद्धालु इसे बहुत पवित्र मानते हैं।
मान्यता है कि इसकी ज्योति की भस्म में सुख, सौभाग्य और सफलता प्रदान करने की शक्ति है। इसलिए लोग इसे अपने माथे पर लगाते हैं। इसे लगातार जलाए रखने के लिए श्रद्धालु शुद्ध घी के साथ हवन की सामग्री डालते रहते हैं। सर्दी हो या गर्मी अथवा तेज बरसात, यह ज्योति हमेशा जलती रहती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया। उनके नाम पर यहां गौरी कुंड बना है जिसका जल बहुत पवित्र माना जाता है।
तीनों देवों के सम्मान में यहां तीन कुंड हैं। कहते हैं कि इन्हीं कुंडों में उन्होंने स्नान किया था। इस स्थान पर आदिगुरु शंकराचार्य भी आए थे। उन्होंने भगवान शिव और मां पार्वती की प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित कराईं।