उम्र के हर पड़ाव में महिलाओं के शरीर में नए बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक बदलाव 45 से 55 साल की उम्र के बीच होता है। इस दौरान महिलाओं के पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। इसे मेनोपॉज (Menopause) कहते हैं। अगर किसी महिला को 12 महीनों तक लगातार पीरियड्स नहीं आते, तो इसे मेनोपॉज कहा जाता है।
मेनोपॉज के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के लेवल में काफी गिरावट आती है, जिसके कारण कई फिजिकल और मेंटल बदलावों से गुजरना पड़ता है। आइए डॉ. श्वेता मेंदिरत्ता (एसोशिएट क्लीनिकल डायरेक्टर एंड हेड, ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गायनोकोलॉजी, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, फरीदाबाद) से जानें मेनोपॉज शुरू होने पर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं और कैसे इसे मैनेज करें।
मेनोपॉज के लक्षण कैसे होते हैं?
अनियमित पीरियड्स- मेनोपॉज से पहले पीरियड्स कम या ज्यादा हो सकते हैं।
हॉट फ्लैशेस और नाइट स्वेट्स- शरीर में अचानक गर्मी महसूस होना और रात को पसीना आना।
मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन- हार्मोनल बदलाव के कारण मानसिक तनाव, डिप्रेशन या गुस्सा आ सकता है।
नींद में परेशानी- इनसोम्निया या बार-बार नींद टूटना।
वेजाइनल ड्राईनेस- एस्ट्रोजन की कमी से वेजाइना की नमी कम हो जाती है, जिससे सेक्स के दौरान ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है।
वजन बढ़ना और मेटाबॉलिज्म धीमा होना- शरीर का फैट बढ़ने लगता है, खासकर कमर और पेट के आसपास।
हड्डियों का कमजोर होना- ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि हड्डियां पतली होने लगती हैं।
त्वचा और बालों में बदलाव- त्वचा रूखी हो जाती है और बाल पतले हो सकते हैं।
मेनोपॉज के लक्षणों को मैनेज करने के तरीके
हेल्दी डाइट लें
कैल्शियम और विटामिन–डी- दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम और अंडे खाएं, ताकि हड्डियां मजबूत रहें।
फाइबर से भरपूर खाना- साबुत अनाज, फल और सब्जियों को डाइट में शामिल करें।
ओमेगा-3 फैटी एसिड- अलसी, अखरोट और मछली खाने से मूड स्विंग्स कम होते हैं।
कैफीन और अल्कोहल से परहेज- ये हॉट फ्लैशेस को बढ़ा सकते हैं
नियमित एक्सरसाइज करें
योग और मेडिटेशन- तनाव कम करने और मानसिक शांति के लिए प्राणायाम और ध्यान लगाएं।
वेट ट्रेनिंग- हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए हल्की वेट एक्सरसाइज करें।
वॉकिंग और एरोबिक्स- दिल के स्वास्थ्य और वजन कंट्रोल के लिए रोजाना 30 मिनट टहलें।
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)
गंभीर लक्षणों के लिए डॉक्टर HRT सुझा सकते हैं, जिसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दिया जाता है। हालांकि, इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
इमोशनल हेल्थ का ध्यान रखें
काउंसलिंग या सपोर्ट ग्रुप- मेनोपॉज के दौरान होने वाले मानसिक बदलावों को समझने के लिए परिवार या एक्सपर्ट से बात करें।
पूरी नींद लें- रात को 7-8 घंटे की नींद जरूर पूरी करें।
नियमित हेल्थ चेकअप
ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और बोन डेंसिटी की जांच करवाते रहें।