नोटबंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ने और देश की जनता से किसी भी खरीदारी के बदले डिजिटल भुगतान करने का आह्वान किया है मगर बिहार सरकार प्रधानमंत्री के इस सपने को लेकर अबतक उदासीन नजर आ रही है. दरअसल पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने बिहार समेत अन्य राज्यों को पत्र लिखकर एक दिशानिर्देश जारी किया था कि सभी राज्य अपने यहां सरकारी अस्पतालों में डिजिटल भुगतान करने के लिए स्वाइप मशीन लगवाएं और ऐसी व्यवस्था बनाएं ताकि देश कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़े.
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सबसे बड़े अस्पताल में सारा लेन-देन कैश में मगर हालत ये है कि एक हफ्ता गुजर जाने के बाद भी बिहार के सबसे बड़े पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है ताकि जो भी मरीज वहां पर आएं वो डिजिटल भुगतान कर सकें. चाहे वो मरीजों के पंजीकरण की कतार हो, सीटी स्कैन या एमआरआई कराने के लिए हो या फिर दवा दुकानों पर किसी भी प्रकार की दवा खरीदने की कतार हो, बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में सभी प्रकार का लेन-देन सिर्फ नगद हो रहा है.
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लोगों को नहीं पीएम की पहल की जानकारी प्रसूति वॉर्ड के बाहर दवा दुकानदार संदीप कहते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐसी किसी भी पहल के बारे में कोई जानकारी तक नहीं है. संजीव ने कहा, ‘हमारे दवा दुकान पर भी स्वाइप मशीन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. हमारे यहां दवा की बिक्री बहुत कम होती है इसीलिए इस सुविधा की अभी शुरुआत नहीं की गई है. वैसे भी प्रधानमंत्री ने ऐसी कोई पहल की है, इसकी हमें जानकारी नहीं है.’
लोगों के पास भी होने चाहिए डेबिड-क्रेडिट कार्ड वहीं दूसरी ओर इमरजेंसी वॉर्ड के बाहर दवा दुकानदार भरत सिंह ने कहा कि सिर्फ उनके स्वाइप मशीन लगा लेने भर से कोई फायदा नहीं होगा, जब तक मरीजों के पास भी डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड की सुविधा न हो. उन्होंने कहा, ‘हम बहुत जल्द अपनी दवा दुकान पर स्वाइप मशीन लगाने जा रहे हैं, मगर इसका क्या फायदा होगा अगर मरीजों के पास एटीएम या डेबिट कार्ड ना हो तो?’
मशीनें हैं लेकिन इस्तेमाल करना नहीं आता दिलचस्प है कि अस्पताल में जहां एमआरआई टेस्ट होता है, वहां स्वाइप मशीन की सुविधा उपलब्ध पाई गई लेकिन किसी को स्वाइप मशीन का इस्तेमाल नहीं करना आता है, जिसकी वजह से अपने पिता का टेस्ट कराने आए रमेश चौधरी को ₹5000 का भुगतान नगद में ही करना पड़ा. रमेश ने कहा, ‘मैंने भी अपने पिता के एमआरआई का खर्च नगद में ही भुगतान किया.’
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भले ही नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन किया हो लेकिन उनके कैशलेस अर्थव्यवस्था के सपने को लेकर जहा भी संजीदा नजर नहीं आते हैं.